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आपके नगर में सेठ के घर जिस पुन्यवान् बालक का जन्म हुआ है, उसके प्रभाव से देश में से अकाल सुकाल में परिवर्तित हो गया है। इस जीव ने पूर्व जन्म में अत्यन्त ही जीवदया का पालन किया था । उसके प्रभाव से ऐसा हुआ है ।।
एक व्यक्ति का पुन्य क्या काम करता है ? परोपकार क्या कार्य करता है ? इसका यह ज्वलन्त उदाहरण है।
आप के घर-परिवार में देखते ही हैं न ? कोई पुन्यशाली व्यक्ति घर में आ जाता है तो घर का वातावरण कैसा बदल जाता है ? एक अनुपमा के कारण वस्तुपाल-तेजपाल का क्या हुआ ? यह हम जानते हैं ।
इससे भी तनिक भिन्न प्रकार का एक दूसरा दृष्टान्त मैं कहता हूं -
नाव में २१ व्यक्ति बैठे थे । समुद्र में तूफान, आकाश में बादलों की गर्जना और बिजली की चकाचौंध होने लगी । बिजली गिरने जैसा ढंग हो गया ।
वे लोग समझे कि हम २१ में से कोई पापी होगा, इसलिए बिजली फड़क रही है और अभी गिरे, अभी गिरे ऐसा ढंग हो रहा है।
सब एक के पश्चात् एक अलग हो गये, परन्तु बिजली फिर भी फड़क रही थी । सब समझे - यह इक्कीसवा व्यक्ति ही पापी है । इसे अलग कर दें तो बिजली इस पर गिरेगी । हम बच जायेंगे ।
उस इक्कीसवे व्यक्ति के अलग होते ही शेष बीस व्यक्तियों पर बिजली गिरी । बीसों व्यक्ति मर गये । सचमुच वह एक पुन्यशाली था, जिसके कारण बिजली उन पर गिर नहीं सकती थी ।
* चक्रवर्ती सुभूम हो अथवा सिकन्दर जैसा कोई बादशाह हो, सब पर समान रूप से मृत्यु का प्रकोप होता है।
इंच-इंच भूमि के लिए लड़नेवाला, हजारों को मौत के घाट उतार देनेवाला सिकन्दर भी छोटी उम्र में चल बसा ।
मृत्यु के समय (एकत्रित की हुई) कोई वस्तु सहायता नहीं करती । सहायता करेंगे तो केवल भावित किये हुए गुण, भावित
[५१६ 80oooooommammmmmmmm कहे कलापूर्णसूरि - २)