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दक्षिण भारत में अंजनशलाका प्रतिष्ठा
१३-७-२०००, गुरुवार आषाढ़ शुक्ला-१२ : पालीताणा
* प्रभु की कृपा से ही यह शासन मिला है, ये जिनवचन, जिन-वाणी मिली है । प्राप्त हुए इन वचनों को अन्तर में उतारें तो एक वचन भी मोक्ष प्रदान करने में समर्थ हैं ।
“निर्वाणपदमप्येकं भाव्यते यन्मुहुर्मुहुः ।। तदेव ज्ञानमुत्कृष्टं, निर्बन्धो नास्ति भूयसा ॥"
- ज्ञानसार एक श्लोक भी अन्तर में उतारें, नाम की तरह कदापि भूलें नहीं तो यह क्या काम करता है ? इसका चमत्कार देखने को मिलेगा । इस श्लोक में निहित भाव जीवन में पूर्ण रूपेण उतार दें तो मैं कहता हूं - आपका मोक्ष निश्चित है ।
हत्यारा चिलातीपुत्र मात्र तीन शब्दों (उपशम, विवेक, संवर) से सद्गतिगामी बन सकता हो तो क्या हम नहीं बन सकते ? _ 'धर्म नहीं कहो तो मैं आपका सिर काट दूंगा ।" इस प्रकार बोलनेवाले चिलाती से डर कर मुनि ने तीन शब्द नहीं कहे थे, परन्तु उन्हों ने उसकी योग्यता देखी थी कि ऐसी स्थिति में भी यह जीव धर्म की इच्छा करता है ? निश्चय ही यह कोई योग(कहे कलापूर्णसूरि - २ 60000000000000000 ५१३)