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यदि आज्ञा का उल्लंघन करे तो सेनापति सैनिक को गोली से उडा देगा । यहां कोई गोली से नही उडाता, परन्तु कर्मराजा की गोलीबारी तैयार है।
डाक्टर रोग की खतरनाकता इस कारण से बताते है कि रोगी पथ्य का बराबर पालन करे, पथ्य पालन करते हुए कडवी औषधि आदि बराबर ले । यदि वह ऐसा नहीं करे तो उसका जीवन जोखिम में ही पड़ जाये ।
यहां भी डाक्टर के स्थान पर गुरु है । उनका न मानें तो परलोक में तो दुर्गति आदि होगी ही, इस जन्म में भी रोग आदि आ सकता है।
गुरु चाहे आयु में लघु हों, अल्पश्रुत हों, तो भी उनकी आशातना आपत्ति का कारण बनती है ।
सच्चे गुरु को छिपाने से उस योगी का कमण्डल आकाश में से नीचे गिर गया था । स्वयं को अध्यापन कराने वाले चाण्डाल को उपर बिठाने से ही महाराजा श्रेणिक अवनामिनी-उन्नामिनी विद्या सीख सके थै ।
हमें संयम जीवन व्यतीत करना है, मोक्ष में जाना है; साथ ही साथ अविनय भी करते रहना है । लड्ड (मोदक) खाकर उपवास करना हैं । चाहे जितनी तप आदि की कठोर साधना हो, लेकिन अविनय हो तो सब निरर्थक है । उदाहरणार्थ कूलवालक । अविनय कौन करेगा ? स्तब्ध - अभिमानी ।
क्रोध भी अभिमान का ही एक प्रकार है । अन्तर में अभिमान होगा तो ही क्रोध आयेगा । अहंकार आहत होने पर ही क्रोध आयेगा ।
___ 'अपराधाक्षमा क्रोधः ।' अपराधी को क्षमा नहीं करना ही क्रोध है ।
समस्त दोषों को उत्पन्न करने वाला अहंकार है । अहंकार संसार का बीज है, नमस्कार मुक्ति का बीज है । हमें कहां रहना है ? मुक्ति में या संसार में ?
अहंकार नहीं छोडें तो मुक्ति की साधना किस प्रकार प्रारम्भ होगी ? (३२wwwwwwwwwwwwwwwww कहे कलापूर्णसूरि - २)