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छः खण्डों के स्वामी ब्रह्मदत्त एवं सुभूम चक्रवर्ती के पास अपार समृद्धि होते हुए भी वे मरकर नरक में गये है । अपार सम्पत्ति में से कुछ भी साथ ले जा नहीं सके ।
यह नजर के सामने रखकर निःस्पृह बनें, फक्कड़ बनें, तो संयम सार्थक होगा । अन्यथा हमारे बड़े गुरुदेव पू. जीतविजयजी दादा के शब्दों में कहूं तो भरूच के पाड़े बनना पड़ेगा ।
यदि उत्तम प्रकार से संयम जीवन का पालन करते होंगे तो आपके एक वाक्य से हजारों जीव धर्म प्राप्त कर लेंगे; जीवन में कुछ नहीं होगा तो आपके विद्वत्तापूर्ण प्रवचनों से कोई धर्म प्राप्त कर लेगा, इस भ्रम में न रहें ।
कुन्दनमलजी ने मुंडारा (राजस्थान) में चातुर्मास हेतु विनती की।
पूज्यश्री - वर्तमान जोग । चातुर्मास के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता, परन्तु उस ओर आयेंगे तब आपके गांव में आने का अवश्य ध्यान में रखेंगे ।
Pepol For Pepol (Chennai) के एक सदस्य -
चैनई के जन-जन के हृदय में पूज्य कलापूर्णसूरि प्रतिष्ठित हैं । नये मन्दिर में पूज्यश्री की निश्रा में श्री चंद्रप्रभुजी की जो शानदार प्रतिष्ठा हुई, उसे कोई भूल नहीं सकता ।
पूज्यश्री - ये हमारे चैनई के परिचित हैं । हम जहां जहां होते हैं, वहां वहां मौके पर ये आ जाते हैं । उनका धर्म-भाव, धर्म-प्रेम अनुमोदनीय है ।
भक्त की इच्छा __ मैं मर जाऊंगा फिर मेरा शरीर मिट्टी तो बननेवाला ही है । हे प्रभु ! मेरी ऐसी इच्छा है कि उस मिट्टी में से उत्पन्न वृक्ष से कोई सुथार आपके चरणों की पादुका बनाये । इस प्रकार मुझे यदि तेरे चरणों में रहने को मिलेगा तो मैं स्वयं को जगत् का सर्वाधिक सौभाग्यशाली मानूंगा ।
- गंगाधर
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(कहे कलापूर्णसूरि - २00ooooooooooooooooo ४९५)