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________________ मां की नजर उस पर पड़ी । दौड़ती-दौड़ती आती हुई माताने यह देखते ही बालक को एकदम खींच लिया । बिचारे बालक को खरोंचें लग गई और वह रोने लगा । यहां माता ने उचित किया या अनुचित ? बालक को इच्छित वस्तु नहीं लेने दी यह उचित किया या अनुचित ? ___ गुरु भी मां है । कई बार गुरु इच्छित कार्य न करने दें, खरोंचें लगें वैसे वचन सुनायें । उस समय भी गुरु हित के लिए ही ऐसा करते हैं, यह सोंचे । जो व्यक्ति गुरु में 'माता' के दर्शन करेंगे वे तर जायेंगे । कभी क्रोध करते, कभी कड़वा उपालंभ देते, कभी कठोर बनते गुरु में यदि आप माता के दर्शन करोगे तो उनके हृदय में रही अपार करुणा दृष्टिगोचर होगी । यह देखने के लिए आपके पास बालक का हृदय चाहिये और भक्त की आंख चाहिये । * नवकार मंत्र के प्रभाव से उस मुसलमान ने पानी निकाल दिया । वणिक् ने उक्त गुप्त विद्या देने का आग्रह किया तब उस मुसलमान ने सद्गुरु द्वारा प्रदत्त नवकार मंत्र सुनाया । "यह तो हमें आता है । यह कोई विद्या है ? यह तो नवकार है ।" वणिक् ने उत्तर दिया । अपनी दशा भी उस वणिक् जैसी है। जानते हैं बहुत, परन्तु हृदय में श्रद्धा नहीं है । इसमें क्या ? यह तो आता है । यह कहकर निकाल देते हैं । निद्राधीन व्यक्ति को जगाया जा सकता है, पर जागृत व्यक्ति को किस प्रकार जगायें ? अज्ञानी को बताया जा सकता है, परन्तु जानकार को कैसे बता सकते हैं ? इस दृष्टि से जाननेवालों की सभा में व्याख्यान देना अत्यन्त कठिन है। * अपना अन्तरंग परिवार अपने पास होते हुए भी हम उनके साथ सम्बन्ध जोड नहीं सकते, क्योंकि भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ा नहीं है । "तुम न्यारे तब सब ही न्यारा, अन्तर कुटुंब उदारा; (कहे कलापूर्णसूरि - २00mmonommonsoooom ४९३)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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