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पू. महोदयसागरजी के साथ, पालिताना, वि.सं. २०५६
मातुश्री पालईबेन गेलाभाई गाला परिवार द्वारा आयोजित
लाकडिया से शंखेश्वर-सिद्धाचल छरी पालक संघ (फा. कृष्णा-१२ से चैत्र शुक्ला -५; एक हजार यात्रिक)
१०-३-२०००, शुक्रवार फाल्गुन शुक्ला-५ : सीधाडा
चंदाविज्झय पयन्ना ग्रन्थ का प्रारम्भ भगवान ने जो पदार्थ बताये, गणधरो ने उनका व्यवस्थित गुम्फन किया है । भगवान ने जो पुष्प बरसाये, उन पुष्पों की गणधरों ने माला बनाई है ।
४५ आगमों में से दस पयन्ना में 'चंदाविज्झय' का भी नाम है । भगवान के जितने शिष्य थे, उन सब ने पयन्ना बनाये थे। चौदह हजार पयन्ना थे । आज दस ही शेष रहे हैं । (पयन्ना की संख्या कुछ अधिक है, परन्तु ४५ आगमों में दस की ही गणना
एक बार विहार करके सांतलपुर गया तब सूची में 'चंदाविज्झय पयन्ना' का नाम पढ़कर मन प्रसन्न हो गया । केवल १७५ गाथाओं का ही यह ग्रन्थ अद्भुत प्रतीत हुआ । उसके बाद राणकपुर से (२८ Wwwwwwwwwwwwwwws कहे कलापूर्णसूरि - २)