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के प्राचीन मन्दिरों में बैठे । आपको ध्यान का अनुभव होगा । ये मन्दिर २२०० वर्ष प्राचीन हैं । घर में ध्यान करो और जिनालय में ध्यान करो । दोनों में अन्तर पड़ेगा । क्षेत्र का भी प्रभाव होता है, आपको आपका अनुभव ही समझायेगा ।
नौ अमृत कुण्ड करुणामय चित्त मधुरतायुक्त वचन प्रसन्नतायुक्त दृष्टि क्षमायुक्त शक्ति श्रुतयुक्त मति दानयुक्त लक्ष्मी शीलयुक्त रूप नम्रतायुक्त श्रुत कोमलतायुक्त सत्ता
कहे कलापूर्णसूरि - २ooooooooooooooooooo ४५१)