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* कहीं कविने आदिनाथ प्रभु को उपालम्भ देते हुए कहा है - प्रभु ! आपने अपनी माता, पुत्रों एवं पौत्रों आदि सबको मोक्ष दिया है, मुझे क्यों नहीं ? क्या यह पक्षपात नहीं है ?
भक्त चाहे उपालम्भ की भाषा में कहे परन्तु किसी भगवान ने कहीं भी कदापि पक्षपात किया ही नहीं है । मरीचि पौत्र था, फिर भी उसे कहां तारा ? सत्य कहं तो हमारी तरने की जितनी इच्छा है, उससे कई गुनी अधिक भगवान को तारने की इच्छा
मन की नौ शक्तियां १. धैर्य २. तर्क-वितर्क में निपुणता ३. स्मरण ४. भ्रान्ति ५. कल्पना ६. क्षमा ७. शुभ संकल्प ८. अशुभ संकल्प ९. चंचलता ।
- महाभारत शान्ति पर्व
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[४४४0000000000000000000 कहे कलापूर्णसूरि - २)