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वि.सं. २०५०, मद्रास
२४-६-२०००, शनिवार आषा. कृष्णा-७ : पालीताणा
* हमारे समान भटकते प्राणी को यह शासन मिला है जो निर्धन को चिन्तामणि प्राप्त हो जाये ऐसा बना है।
अभी तक भटकने का कारण यह शासन नहीं मिला था, वह है। ___ "भमिया भमिहिंति चिरं जीवा जिणवयणमलहंता ।"
- 'जीव विचार' पूर्व में शासन मिला होगा तो अन्तः करण से आराधना नहीं की होगी । इसीलिए परिभ्रमण चालु रहा ।
दूसरों का (भुवनभानु केवली आदि) चरित्र पढ़कर केवल हमें उनका ही विचार आता है कि उन्हों ने कितनी भूलें की? वास्तव में तो यह विचार करना है कि यह मेरा ही भूतकाल है । मैं ने ऐसी ही भूलें की हैं । इसीलिए मिला हुआ शासन हार गया । फल स्वरुप संसार का परिभ्रमण चालु रहा ।
* हमें इस समय जैसी धर्म-सामग्री (मानव-भव, जैन कुल, जिन वाणी, ऐसा तीर्थ क्षेत्र, संयम-जीवन आदि) मिली है, वैसी सामग्री अन्य कितनों को मिली है? कितने जीवों को यह सामग्री
(४०४Wommoooooooooooooom कहे कलापूर्णसूरि - २)