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________________ * हरखचंदभाई वाघजी गींदरा - आधोई निवासी ने चातुर्मास फण्ड में बड़ी धनराशि लिखवाई । धनजीभाई गेला गाला की ओर से चातुर्मास फण्ड में अच्छी धनराशि देने की घोषणा हुई । कामली की बोली - मगनीरामजी भंवरलालजी, मद्रास । * धीरुभाई (अध्यक्ष, गुजरात विधानसभा) : प्रभु एवं पूज्य अध्यात्मयोगी गुरुदेवश्री के चरणों में प्रणाम । वागड़ समाज पर पूज्यश्री ने महान कृपा की है । पालीताणा में चातुर्मास अर्थात् समग्र वागड़ के गांवो का एक साथ चातुर्मास है, यह मानें । ऐतिहासिक चातुर्मास हो, वैसा होना चाहिये, जैसे पं. कीर्तिचन्द्रविजयजी ने कहा - रात-रात ही रात में, बात ही बात में इतिहास बदल जाता है। गांधीधाम में होटल का उद्घाटन मैंने नहीं किया, केवल उपस्थित ही रहा था । इस बात का स्पष्टीकरण इसलिए करना पड़ता है कि अखबार में ना समझी के कारण समाचार छपे थे। मांस-निर्यात देश में से बंध न हो तब तक जो मिठाई का त्याग करके बैठा हो (मैं) वह ऐसी होटलों को किस लिए प्रोत्साहन पूज्य गुरुदेवश्री की कृपा से ही पांजरापोल की 'सबसिडी' ६ में से ८, आठ मैं से दस रूपये प्रति ढोर हो सकी है। ऐसे पूज्यश्री को समर्पित बनकर रहना है । दोनों समाजों के द्वारा आयोजित होने वाला यह चातुर्मास ऐतिहासिक बने वैसा करें । * वेरशीभाई - अंधेरी (मुंबई) की प्रतिष्ठा हेतु विनती । अंधेरी में जिनालय का निर्माण हो चुका है। आपने वचन दिया था कि दो वर्ष पश्चात् आऊंगा । वह आपको याद दिलाता हूं। पूज्यश्री - अनुकूलता मिलने पर देखेंगे । * बाबुभाई मेघजी (भूतपूर्व अर्थमंत्री, गुजरात) स्वर्ण की वर्षा हो रही हो, वैसा प्रतीत होता है । ज्ञानसागर पूज्यश्री हैं । एकाध अंजलि प्राप्त हो तो भी काम हो जाये । वागड़-निवासी चाहे पूज्यश्री को अपने माने, परन्तु पूज्यश्री तो सूर्य-चन्द्र की तरह कहे कलापूर्णसूरि - २wooooo00000000000 ३३७)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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