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________________ गुरुदेव जैसे धन्वन्तरि वैद्य हैं । इस लाभ के लिए मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं । * लक्ष्मी चंचल है, हाथ का मैल है । हम देखते हैं कि वागड़ के ओसवालों ने अभी-अभी ही १००० करोड़ रुपये शेर बाजार में खोये होंगे । लक्ष्मी का क्या भरोसा ? ऐसी भूमि पर बीस वर्षों के बाद पूज्यश्री चातुर्मासार्थ पधारे हैं, तो भोजनशाला की सभी तिथियों पूरी हो जाये ऐसा उपाय करें । नूतन पूज्य आचार्यश्री - भोजनशाला की सभी तिथियां लिखी जायें वैसी चांपशीभाई की भावना स्वागत योग्य है । यहां दान देने से सुपात्र-दान का महान् लाभ मिलेगा । * संगीतकार आशु व्यास - गुरु-गुण-भक्ति गीत... जय कलापूर्णसूरि, जय कलापूर्णसूरि "जमीन न होती तो आकाश न होता, श्रद्धा न होती तो विश्वास न होता; हृदय न होता तो यह सांस न होता, कलापूर्ण-कलाप्रभसूरि न होते तो यह आशु व्यास भी न होता ।" सांतलपुर-निवासी वारैया वखतचंद मेराज की ओर से आश्विन शुक्ला-१४ (द्वितीय मुहूर्त आश्विन कृष्णा-१) से उपधान होगा । मागशीर्ष शुक्ला-३ को उपधान की माला होगी । आराधक तत्काल नाम लिखवायें । गुरुपूजन बोली - भेरमल हकमाजी की ओर से (बबिताबेन ताराचंद संघवी, पालीताणा, भेरुविहार, मालगाम (राजस्थान) संघवी ताराचंदजी - एक परिचय - मालगाम के जिनालय के जीर्णोद्धार शिलान्यास का लाभ ऊंची बोली से लिया है। स्वनिर्मित अनादरा तीर्थ की प्रतिष्ठा फाल्गुन शुक्ला-१३ को होगी । पूज्यश्री को भी विनती हुई है । * पूज्य नूतन आचार्यश्री - वागड़ की भूमि पर भी विशाल तीर्थ बनेगा, जिसकी घोषणा चातुर्मास पूर्ण होने से पूर्व की जायेगी। ३३६ooooooooooooooooooo
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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