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ऐसे धर्मनिष्ठ धीरुभाई हमारे समक्ष बैठे हैं ।
* इस चातुर्मास में हमें धर्म के साथ केवल मिलना नहीं है, धुलना भी है । केवल मिलने से नहीं, धुलने से काम होता है । नीमज ( राजस्थान ) प्रतिष्ठा के लिए 'मोण्टैक्स' पैन वालों की विनंती
पूज्यश्री * कदाचित् इसमें भगवान की ही इच्छा होगी, माघ कृष्णा-५ (फागुण कृष्णा-५ ) के लिए हम सन्तोषकारक उत्तर देंगे ।
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उद्घाटक * चांपसीभाई नंदू ने व्याख्यान होल के लिए तथा जीवदया के लिए अच्छी धनराशि प्रदान की । दोनों प्रवेशद्वार * प्रेमजी भचु गडा मनफरा
वागड़ ।
संघपति धनजीभाई गेलाभाई गाला,
* लाड़िया ।
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नेणसी लधा
चांपसीभाई नंदू का परिवार । जिन्हों ने मुंबई की नव-निर्मित ओसवाल समाज की वाडी में बड़ा चढ़ावा लिया था, जिनके कर कमलों से प्रति वर्ष १५२० करोड सरकार के द्वारा व्यय कराये जाते हैं, वैसे ये पुन्यशाली पुरुष पूज्य आचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे हैं । हम उन्हें भी सुनें । चांपशीभाई नंदु पूज्य गुरुदेवों को वन्दन ।
कल्पना भी नहीं थी, परन्तु लिखा होता है वह होता रहता है । व्याख्यान होल का अनुपम लाभ मिलेगा, ऐसा विचार भी नहीं था ।
'आपके बिना उद्घाटन नहीं होगा' ऐसी मालशीभाई की बात मैंने स्वीकार की, तथा पूज्यश्री के दर्शन - वन्दन का लाभ भी साथ था ही ।
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स्वाध्याय भुवन
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कच्छ
देव - गुरु की कृपा निरन्तर मुझ पर होती हो वैसा मुझे प्रतीत होता रहता है ।
निरन्तर सत् समागम करें तो ही पूर्ण लाभ होता है, ऐसा पूज्यश्री ने मार्मिक रूप में ही कहा है ।
* हमारे मुख्य दोष राग- द्वेष हैं । उन्हें नष्ट करने वाले कहे कलापूर्णसूरि २wwwwww८८० ३३५