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दक्षिण भारत में
२८-४-२०००, शुक्रवार वै. कृष्णा-६ : पालीताणा
* भगवान द्वारा कथित मार्ग अर्थात् रत्नत्रयी - सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र मोक्ष मार्ग है ।
सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः । तत्त्वार्थ का यह प्रथम
'चारित्राणि' में बहुवचन, मार्ग में एकवचन क्यों ? तीनों मिल कर ही मोक्ष-मार्ग हो सकता है यह बताने के लिए ।
अकेली श्रद्धा या अकेला ज्ञान या अकेला चारित्र आपको मोक्ष में नहीं ले जा सकता ।
* 'सिद्ध प्राभृत' में लिखा है कि महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न अपहृत आत्मा का भरतक्षेत्र में से भी मोक्ष हो सकता है। भरतक्षेत्र में से ही नहीं, ढाई द्वीप के प्रत्येक क्षेत्र में से इस प्रकार मोक्ष हो सकता है ।
इस प्रकार मोक्ष न हो तो सिद्धशिला का प्रत्येक अंश अनन्त आत्माओं से कैसे परिपूर्ण होगा ? इस अपेक्षा से सम्पूर्ण ढाई द्वीप तीर्थ है, जिन के प्रत्येक कण में से अनन्त-अनन्त आत्मा मोक्ष में गये हैं । सिद्धाचल इतना महान तीर्थ है कि अन्य की अपेक्षा (२०८ 0 mmswwwwwwwwww कहे कलापूर्णसूरि - २)