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मां दौड़ती हुई आती है तो क्या भगवान दौड़ते हुए नहीं आयेंगे ? भगवान तो जगत् की मां हैं ।
तू वीतराग होकर छूट जाये यह नहीं चलेगा । मैं ऐसे तुझे छोडने वाला नहीं हूं। मानविजयजी इस प्रकार भगवान को कहते हैं, तो क्या हम नहीं कह सकते ?
कौन क्या देता है ? इतिहास चतुराई देता है । कविता मृदुता एवं वाणी-विदग्धता देती है । गणित सूक्ष्मता देती है । विज्ञान गहनता देता है । नीतिशास्त्र वीरता देता है । तर्कशास्त्र वक्तृत्व देता है । (धर्म सब कुछ देता है ।)
बेकन
कहे
रि-२ooooooooooooooooon २०७