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पद प्रदान प्रसंग, वांकी - कच्छ, वि.सं. २०५६, माघ शु.६
१७-४-२०००, सोमवार चैत्र शुक्ला-१४ : पालीताना
पूज्य देवेन्द्रसूरिजी महाराज की स्वर्गारोहण तिथि । * शासन की आराधना अर्थात् नवपद की आराधना । नवपद की आराधना अर्थात् शासन की आराधना । दोनों अभिन्न
* आज चारित्र-पद का दिन है ।
संसार-सागर से पार उतारने के लिए चारित्र के अतिरिक्त अन्य कोई जहाज नहीं है।
चारित्र तब ही सार्थक होता है यदि उसकी पृष्ठ भूमिका में सम्यग्दर्शन एवं सम्यग्ज्ञान का बल हो । यह नहीं हो तो चारित्र का कलेवर रहेगा, प्राण नहीं रहेंगे । निष्प्राण चारित्र का कोई मूल्य नहीं है।
संयमी कोमल भी होता है और कठोर भी होता है । दूसरों के प्रति कोमल, परन्तु स्वयं के प्रति कठोर होता है।
इस प्रकार का संयम पालन करने वाले आज तक अनेक आत्मा हुए हैं, हो रहे हैं और होंगे ।
महाविदेह क्षेत्र में इस समय बीस विहरमान भगवान हैं । (१४२ masamoonamasoos कहे कलापूर्णसूरि - २)