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________________ MARDAMPARAN थाणा में रंगावली १५-४-२०००, शनिवार चैत्र शुक्ला-१२ : पालीताणा * कल भगवान महावीर स्वामी का जन्म-कल्याणक दिन है। कल हम उनके अनन्त उपकारों का स्मरण करेंगे, परन्तु सच्चा सम्मान तब ही माना जायेगा, जब हम उनके उपदेश जीवन में उतारेंगे । * ब्रह्मचारी व्यक्ति का वस्त्र यदि हमें ओढ़ने के लिए मिल जाये तो उसकी दृढ़ता, पवित्रता हमें प्राप्त हो जायेगी, ऐसी हमें श्रद्धा है, ऐसा हमे अनुभव है; क्योंकि उसके पवित्र परमाणुओं का उसमें संचय हुआ होता है; उस प्रकार सिद्ध भगवंतोने अपनी आत्मा के द्वारा पवित्र बनाये गये कर्म-पुद्गल कहां गये? वे पवित्र पुद्गल यद्यपि सर्वत्र फेल जाते है; परन्तु जिस भूमि पर निर्वाण हो वहां तो एकदम दृढ होकर रहते हैं । इसीलिए सिद्धाचल की यह भूमि पवित्र मानी गई है । * रसोइया रसोई जीमने के लिए या जिमाने के लिए बनाता हैं, फैंकने के लिए नहीं । शास्त्रकारों ने यह सभी पदार्थ सम्यग् जीवन व्यतीत करने के लिए परोसे हैं, केवल जानने के लिए या अहंकार बढ़ाने के लिए नहीं । रसोई (भोजन) तो दूसरे दिन बिगड़ (१३४ wwwwwwwwwwwwwoooooom कहे कलापूर्णसूरि - २)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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