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मेरे साथ सिंहासन पर बैठ जाओ !' तो हमें कितना आनन्द होता है ? भगवान हमें यही कहते है - 'आप मेरे समान ही हैं, आ जाओ मेरे साथ ।'
* आगे बैठने की जितनी दोड़-भाग करते हैं, उतनी ही दौड़-भाग, उतनी ही शीघ्रता यदि सुना हुआ जीवन में उतारने के लिए करो तो काम हो जाये ।
* 'कम खाना, गम खाना, नम जाना' - ये तीन बातें याद रखना । आप अनेक आपत्तियों से बच जायेंगे ।
दुःख आग है, आप कथीर हैं या कंचन ? दुःख शिल्पी है, आप मिट्टी हैं या पत्थर ? दुःख भूमि है, आप बीज हैं या कंकड़ ? दुःख कुम्हार है, आप रेती हैं या मिट्टी ?
यदि आप स्वर्ण हैं तो दुःख की अग्नि से आपको घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
आग से कथीर डरता है, कंचन को किसका डर है ? __ आप यदि आरस के पत्थर हैं तो दुःख के शिल्पी से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । टांकी से मिट्टी का पड़ डरता है, आरस को किस बात का भय ?
आप यदि बीज हैं तो दुःख की भूमि में प्रविष्ट होने से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भूमि में पड़ा हुआ कंकड़ भीतर ही पड़ा रहेगा, परन्तु बीज तो विशाल वृक्ष के रूप में बाहर आयेगा ।
आप यदि मिट्टी हैं तो दुःख के कुम्हार से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है । वह आप में से नई नई डिझाइन के घड़े TR बनायेगा ।
(कहे कलापूर्णसूरि - २0000000 sooooooooom १३३)