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________________ वांकी (कच्छ) चातुर्मास प्रवेश, १९-७-१९९९, सोमवार आषा. सु. ७ दीक्षा- दाता कैसे होने चाहिये ? दीक्षा देने के लिए तो हम शीघ्रता करते हैं परन्तु गुरु बनने की हमारी योग्यता है कि नहीं यह देखना चाहिये । दीक्षा अंगीकार करनेवाले में १६ गुण होने चाहिये । यदि १६ गुण हों तो शत-प्रतिशत सफलता मोक्ष निश्चित है | भगवान की दीक्षा अंगीकार करनेवालों को यदि मोक्ष प्राप्त न हो तो क्या चोर - लूटेरे को प्राप्त होगा ? गुरु ने कृपा करके अल्प गुण होने पर भी दीक्षा प्रदान की हो तो उस कमी को पूर्ण करना कोई कठिन बात नहीं हैं । चन्द्रमा १६ कलाओं से पूर्ण बनता है । १६ आनों से रूपया बनता है, उस प्रकार १६ गुणों से युक्त दीक्षार्थी बनता हैं । दीक्षार्थी के १६ गुण : २. १. आर्यदेश समुत्पन्न: : आर्यदेश में उत्पन्न हो । शुद्धजाति - कुलान्वित: : शुद्ध जाति एवं कुल में उत्पन्न हो । ― ३. क्षीणप्रायः कर्ममल: : क्लिष्ट कर्म-मल जिसका क्षीण ( कहे कलापूर्णसूरि १ ***** ***** ४७
SR No.032617
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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