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अपने शिष्य-गण के साथ पूज्यश्री, भचाउ - अंजन शलाका, वि.सं. २०५५
१५-११-१९९९, सोमवार
का. सु. ७
. जो उल्लास से दीक्षा अंगीकार करता है वह उल्लास से पालता ही है, फिर इतना उपदेश किस लिए ? जीव के परिणाम समान नहीं रह सकते । परिणाम सदा बढते-घटते रहते हैं, क्योंकि वे क्षायोपशिमक हैं ।
इसी कारण से ही सिंह + सियार की चतुर्भंगी शास्त्रों में बताई है।
मन में सतत उठनेवाली विविध वृत्तियों पर विजय प्राप्त करनी कोई सरल नहीं है ।
हमारे परिणाम निरन्तर बने रहें, इसीलिए शास्त्रकारों ने शास्त्रों की रचना की है। इसीलिए महापुरुषों के जीवन श्रवण करने हैं, उनके नाम श्रवण करने हैं । भरहेसर सज्झाय क्या है ? केवल महापुरुषों के नाम हैं । उनके नामों में उनका इतिहास छिपा है । प्रत्येक नाम में संयम एवं सत्त्व का बल भरा हुआ है ।
सिंह के जैसे परिणाम सियार के जैसे बनने लगें तब उन्हें टिकाने वाले धर्मशास्त्रों के उपदेश है, महापुरुषों के नाम हैं ।
गुरुकुल-वास का सर्वाधिक लाभ नित्य गुरु के दर्शन होना
कहे
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