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भीलडीयाजी (गुजरात) तीर्थे सामूहिक जाप,
वि.सं. २०४४, फाल्गुन
१२-११-१९९९, शुक्रवार
का. सु. ४
. 'सामायिक' शब्द के श्रवण मात्र से अनन्त जीव केवलज्ञानी बने हैं । उपशम, विवेक और संवर शब्द के श्रवण से हत्यारा चिलातीपुत्र स्वर्गवासी बना था । सामायिक की इस समय आराधना करके संस्कार सुदृढ बनायें तो आगामी जन्म में सामायिक, शब्द के स्मरण से हमें 'जाति स्मरण ज्ञान' हो सकता है ।
'आगामी भव (जन्म)में मैं बन्दर बननेवाला हूं।'
सीमंधरस्वामी से यह बात जानकर एक देव ने उस जंगल की शिलाओं पर नवकार कोतरा । यह देखकर उसे बन्दर के भव में जाति स्मरण ज्ञान हुआ ।
. चाहे जितने अधम से अधम जीव का तारणहार शासन है, जिसके अर्जुनमाली, चंडकौशिक, शूलपाणि, कमठ इत्यादि उदाहरण हैं । बाहर से खराब प्रतीत होने वाला अयोग्य जीव भी ज्ञानी की दृष्टिमें अयोग्य नहीं है ।
'कटोरे में शराब भरी है तो क्या हुआ ?
आखिर तो वह कटोरा सोने का है न ?' हमारा जीव सोने का कटोरा है। आज भले ही उसमें शराब
***** कहे कलापूर्णसूरि - 2
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