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रूप में कृतक देवत्व है, मंत्र में अनादिसिद्ध देवत्व है । * 'अयं मे हस्तौ भगवान्, अयं मे भगवत्तरः । अयं मे विश्वभेषजः, अयं मे शिवाभिमर्शनः ॥' • न दुरुक्ताय स्पृहयेत् ।
जिसकी वाणी दूषित हो, उसमें मंत्र चैतन्य उत्पन्न नहीं होता । वाणी में और खाने पीने में विकार न आये यह ध्यान रखें ।
. एक हजार आराधकों का जाप अशुभ को जलाकर राख कर देता है, मंगल का स्रोत बहा देता है और प्रकृति को नमस्कृति से भिगा देता है ।
सामूहिक जापमें प्रत्येक आराधक को एक हजार गुना प्रकाश मिलता है।
चौदह राजलोक में मनोवर्गणा के पुद्गल फैला देता है । पावर (शक्ति) कितना ? एक आराधक = १ होर्स पावर । एक हजार आराधक = एक हजार होर्स पावर । शक्ति का स्रोत = U२९० = विस्फोट
नवकार शान्ति का प्रक्षेपास्त्र, दिव्य चेतना का अवतरण, सुरक्षा का कवच, पर्यावरण की शुद्धि रूप संकल्प - सिद्ध मंत्र है ।
पूज्यश्री : 'सव्वे जीवा न हंतव्वा ।'
यह प्रभु की मुख्य आज्ञा है । इसका पालन करनेवाले को तीर्थंकर-पद प्राप्त होता है । आज्ञा की आराधना अहिंसा के द्वारा होती है ।
अहिंसा की रक्षा के लिए ही शेष चार व्रत हैं । अहिंसा के प्रश्न व्याकरण में ६० (साठ) पर्यायवाची शब्द
इसमें एक शब्द है : शिवा । 'अहं तित्थयरमाया सिवादेवी...'
में शिवा का अर्थ अहिंसा - करुणा करके देखे, फिर अर्थ कैसा बैठता है ?
केवल अरिहंत की ही नहीं, पांचों परमेष्ठियों की जननी अहिंसा है, करुणा है।
* कहे कलापूर्णसूरि - १
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