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* १. प्रवज्या (रजोहरण (ओघा) देना) २. मुण्डन
शिक्षा ४. उपस्थापना ५. सहभोजन ६. संवास (साथ रहना)
शिष्य अयोग्य जानने पर उत्तर-उत्तर के कार्य नहीं कराना, उसे उत्प्रवजित करना ।
. कितने वर्षों के पर्यायवाले को कौन सा सूत्र पढाया जाता है ?
तीन वर्ष के पर्यायवाले को - आचार प्रकल्प (निशीथ)
चार वर्ष के पर्यायवाले को - सूयगडंग (पहले तो आचारांग सूत्र बड़ी दीक्षा से पूर्व पढा लिया जाता था)
पांच वर्ष के पर्यायवाले को - दशा कल्प व्यवहार सूत्र (आज जो कल्पसूत्र के जोग चलते हैं वे ।)
आठ वर्ष के पर्यायवाले को - स्थानांग, समवायांग । दस वर्ष के पर्यायवाले को - व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती)
ग्यारह वर्ष के पर्यायवाले को - खुड्डिया विमाण पविभत्ती, आदि पांच अध्ययन ।
बारह वर्ष के पर्यायवाले को - अरुणोववाई आदि पांच अध्ययन । १३ वर्ष के पर्यायवाले को - उत्थानश्रुत आदि
पांच अध्ययन । १४ वर्ष के पर्यायवाले को - आशीविष भावना । १५ वर्ष के पर्यायवाले को - दृष्टिविष भावना । १६ वर्ष के पर्यायवाले को - चारण भावना । १७ वर्ष के पर्यायवाले को - महासुमिण भावना । १८ वर्ष के पर्यायवाले को - तेओग्गिनिसग्ग । १९ वर्ष के पर्यायवाले को - बारहवां दृष्टिवाद । २० वर्ष के पर्यायवाले को - बिन्दुसार सहित सम्पूर्ण ।
शशिकान्तभाई : यह तो साधुओं का आया । साठ वर्ष से उपरवाले श्रावकों को क्या करना ?
कहे
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