________________
उसका स्वाद चखना अलग बात है । सामायिक जानना अलग बात है । सामायिक का आनन्द लेना अलग बात है ।
पुद्गलों का भवोभव का अनुभव है । प्रगाढ संस्कार होने के कारण हम तुरन्त ही पुद्गलों की ओर आकर्षित हो जाते हैं, जबकि सामायिक के संस्कार अब डालने हैं ।
. ज्ञानसार अद्भुत ग्रन्थ है । आप ज्यों ज्यों चिन्तननिदिध्यासन करते रहेंगे, त्यों त्यों आत्म-तत्त्वों का अमृत प्राप्त करते जाओगे । उन्होंने जीवन में साधना करके जो अर्क प्राप्त किया है, वह समस्त ज्ञानसार में उडेल दिया है ।।
. कुछ ध्यानी आवश्यक क्रियाओं को ध्यान में बाधक मानते हैं । वास्तव में तो आवश्यक क्रियाएं ध्यान में बाधक नहीं है, परन्तु साधक है ।
- वर्षा सर्वत्र होती है, परन्तु उससे गन्ने में मधुरता, बबूल में कांटे, रण में नमक और सांप में विष ही बढता है, उस प्रकार जिनवाणी भी पात्रता के अनुसार भिन्न भिन्न परिणाम उत्पन्न करती है । श्रोताओं में कोई गोशाला भी होता है तो कोई गौतमस्वामी भी होते हैं ।
" प्रातःकाल में कौनसा तप स्वीकार करना चाहिये ?
जो साधना में सहायक हो वैसा तप सरल भाव से स्वीकार करना चाहिये ।
सेवा की आवश्यकता हो तब अट्ठाई करके बैठा नहीं जा सकता । ऐसा करने वाला अपराधी बनता है । तप गौण है । गुरु की आज्ञा मुख्य है । गुरु की आज्ञानुसार किये जाने वाला तप निर्जरा-कारक बनता है।
'मुझे केवल सेवा ही करनी ? क्या पानी के घड़े ही लाने ? तो फिर आराधना कब करनी ?' ऐसा कभी न सोचें ।
पानी के घड़े लाना भी आराधना है । सेवा से आराधना अलग नहीं है । सेवा आराधना का ही एक भाग है ।
दस वर्ष तक पू. देवेन्द्रसूरिजी के साथ रहा । नया अध्ययन बंद रहा, लेकिन सेवा का लाभ अच्छा मिला ।
३९८
******************************
कहे क