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उत्तर : करेमिभंते में ही क्या सामायिक की प्रतिज्ञा नहीं ली ? सामायिक तीन प्रकार के है : श्रुत (ज्ञानाचार), सम्यक्त्व ( दर्शनाचार) और चारित्र सामायिक ( चारित्राचार)
· दशवैकालिक ं की रचना से पूर्व आचारांग के प्रथम अध्ययन के बाद ही बड़ी दीक्षा होती थी ।
✿ चउविसत्थो से दर्शनाचार की
वन्दन से दर्शनाचार एवं ज्ञानाचार की, प्रतिक्रमण से चारित्राचार
की,
काउस्सग्ग तथा पच्चक्खाण से तप- आचार की । प्रश्न : वीर्याचार कितने प्रकार का होता है ? उत्तर : छत्तीस प्रकार का । कौन से ३६ प्रकार ? ज्ञानाचार के ८, दर्शनाचार के ८, चारित्राचार के ८, तपाचार के १२ = ३६; इन सब में वीर्य प्रगट करना वीर्याचार | अतः वीर्याचार ३६ प्रकार का है । ३६ + ३६ = ७२; कुल पांचों आचारों के ७२ प्रकार होते हैं ।
'कह्युं कलापूर्णसूरिए' पुस्तक मळ्युं. हजी तो हाथमां जलीधुं
छे परंतु,
‘First Impression is last Impression...'
प्रथम दृष्टिए ज प्रभाविक छे.
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गणि राजयशविजय सोमवार पेठ, पुना.
****** कहे कलापूर्णसूरि