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पूज्य सिद्धिसूरि स्वर्गारोहण तिथि
८-१०-१९९९, शुक्रवार
आ. व. १४ (प्रातः)
. एक जगमगाता दीपक अनेक को प्रकाशित करता है, एक तीर्थंकर अनेक को प्रकाशित करते है। भगवान महावीर प्रभु द्वारा प्रज्वलित शासन-दीप इक्कीस हजार वर्षों तक बिना बुझे जलता रहेगा ।
. मनुष्य की शोभा मधुर एवं सत्यवाणी है । इन्द्रभूति भगवान महावीर को जीतने के लिए आये थे, परन्तु भगवान की प्रिय एवं मधुर वाणी ने उन्हें वश में कर लिया । वे भगवान महावीर के ही शिष्य बन गये ।
गुरु की सेवा कहां तक करनी चाहिये ? : गुरुत्वं स्वस्य नोदेति, शिक्षा-सात्म्येन यावता ।
आत्मतत्त्व - प्रकाशेन, तावत् सेव्यो गुरूत्तमः ॥
जब तक घर में अनुभव-प्रकाश नहीं हो जाये, जब तक शिक्षा के द्वारा भीतर गुरुत्व उत्पन्न न हो, तब तक गुरु की सेवा कहे
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