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रक्षा पोटली को अभिमंत्रित करते ए पूज्यश्री
वडवाण, वि.सं. २०४७ -
२६-९-१९९९, रविवार
आ. व. १
सार्थवाह का, संघपति का उत्तरदायित्व सब के योग-क्षेम का है। मार्ग में सुरक्षा एवं आवश्यक वस्तुएं प्राप्त कराने का उत्तरदायित्व संघपति का होता है ।
मोक्षनगरी में ले जाने का उत्तरदायित्व भगवान का है । हम सब यात्री हैं । भगवान संघपति है, सार्थवाह है। इसी कारण से 'जगचिन्तामणि' चैत्यवन्दन में 'जगसत्थवाह' के रूप में भगवान को सम्बोधित किये गये है ।
. अनेक व्यक्ति मानते हैं कि साध्वीजी निरर्थक हैं, परन्तु साध्वीजी कितना कार्य करते हैं, जानते हो ? पूज्य हरिभद्रसूरिजी को तैयार करने वाली याकिनी महत्तरा साध्वीजी थीं । हमारे पू. कनकसूरिजी म. को तैयार करनेवाली साध्वीजी आणंदश्रीजी थीं । एक साध्वीजी भी कितना काम कर सकती हैं ? आपने कभी इस पर विचार किया है ? साध्वीजी भी इतना कर सकती हैं तो साधुओं का तो कहना ही क्या ?
कीर्तिचन्द्रविजयजी कोलकता में १००० युवकों की शिविर चला रहे हैं । कीर्तिरत्न-हेमचन्द्रविजयजी ने भी गंगावती में अपनी
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