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भेजें । उन्होंने हमारे विश्वास से रकम भेज दी । हमें मद्रास जाने पर पता लगा । पत्र आया जिसमें लिखा था - आपके कथनानुसार साठ हजार रूपये भेज दिये गये हैं । __ ये डफोल शंख के नमूने हैं ।
डफोल शंख अर्थात् बोले अधिक परन्तु करें कुछ भी नहीं, दें कुछ भी नहीं । अनेक आदमी भी ऐसे ही होते हैं ।
- अशुद्ध भाव संसार है । शुद्ध भाव संसार से पार है। अनुस्रोत अर्थात् संसार चले तदनुसार चलना । प्रतिस्रोत अर्थात् संसार से विपरीत चलना । प्रतिकूलता का स्वागत करना मोक्षमार्ग है ।
हमारा मन संक्लिष्ट न बने उसकी तीर्थंकर भगवंतों ने सावधानी रखी है । ज्यों ज्यों भगवान की भक्ति में वृद्धि होती जायेगी, त्यों-त्यों भावों की विशुद्धि बढती जायेगी । 'उत्तम संगे रे उत्तमता वधे'
- देवचन्द्रजी 'जिन उत्तम गुण गावतां, गुण आवे निज अंग'
- पद्मविजयजी हमें प्रभु प्रिय है, परन्तु प्रभुता चाहना अर्थात् लघु बनना । लघु बनने का अर्थ है महान् बनना, महान् बनना अर्थात् लघु बनना ।
लघुता होगी वहां भक्ति प्रकट होगी । भक्ति होगी वहां मुक्ति प्रकट होगी ।
__अनुभव-ज्ञान घणा शास्त्रोना पारंगत पंडितोने जे अनुभव ज्ञान नथी होतं ते साचा भक्तमां होय छे. कारण के अनुभव ज्ञानमां केवळ बुद्धि प्रवेश करवा असमर्थ छे. परमात्ममय बनेली बुद्धि जेने प्रज्ञा कहीए छीए ते अनुभव ज्ञान बने छे. ए प्रज्ञावडे आत्मा जणाय छे.
(कहे कलापूर्णसूरि - १ **
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