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'पूज्यश्री से गुजरात के मुख्यप्रधान केशुभाई पटेल आशीर्वाद ग्रहण करते है, सुरेन्द्रनगर, दि. २६-३-२०००
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५-९-१९९९, रविवार
___ भा. व. १०
पुत्र व्यसनों में फंस जायें तो पिता दुःखी हुए बिना नहीं रहेंगे । हम भी यदि दोषों से ग्रस्त हो जाये तो क्या अपने परम पिता परमात्मा दुःखी नहीं होंगे ?
हमने भगवान का आश्रय नहीं लिया इसलिए ही दुःखी हैं । जब तक भगवान का आश्रय नहीं लेंगे तब तक दुःखी होंगे ही ।
स्वतन्त्रता अर्थात् मोह की परतन्त्रता, यह अभी तक जीव को समझ में नहीं आता । मोह की अधीनता से मुक्त होने के लिए भगवानकी पराधीनता तो स्वीकार करनी ही पड़ेगी।
भगवान आपको पराधीन बनाना नहीं चाहते । दूसरों की तरह वे आपको वाड़े में कैद करना नहीं चाहते, परन्तु वास्तविकता यह है कि ऐसी पराधीनता के बिना हमारा उद्धार नहीं होगा । इसे पराधीनता नहीं कहा जाता, परन्तु इसे समर्पणभाव कहते हैं ।
. हरिभद्रसूरि को अनेक व्यक्ति कहते - 'आप नये-नये प्रकरणों की रचना करते हैं, जिससे लोग आपके प्रकरणों को ही पढ़ेंगे और आगम छोड़ देंगे ।'
वे उत्तर देते - 'मेरे ग्रन्थों के पठन से आगमों को पढने
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