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हुए पूज्यश्री, बेंगलोर के पास, वि.सं. २०५१
१५-८-१९९९, रविवार श्रा. सु. ४
✿ नित्य छः घंटों तक भगवान क्या कहते होंगे ? सम्यक्त्व पानेवाले व्यक्तियों का सम्यक्त्व निर्मल बनता है । नहीं प्राप्त हुआ हो उसे सम्यग्दर्शन प्राप्त होता है । पाये हुए गुण निर्मल बनते है । ऐसा सामर्थ्य भगवान की देशना में होता है ।
ध्यान को तीक्ष्ण बनाने वाला ज्ञान है । उपयोग की तीव्रता का नाम ज्ञान है । अपना नाम हम कभी भूलते नहीं हैं । प्रभु का नाम हम फिर भी भूल सकते हैं । अपने नाम में अपना तीव्र उपयोग है । अतः वह हम नहीं भूलते। उसी प्रकार से प्रभु का नाम और प्रभु के सूत्र भूलाने नहीं चाहिये ।
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में अक्षरों में भगवान है दर्शनों में इस सम्बन्ध में
+ मूर्ति में फिर भी हम भगवान मानते हैं, परन्तु आगमों यह शिक्षा हमने नहीं ली । अन्य बहुत है ।
जिनालय बंद हो या रात्रि का समय हो तो वहां मानो नहीं जा सकते, परन्तु भगवान का नाम न लिया जा सके ऐसा कोई क्षेत्र या ऐसा कोई काल नहीं है । हमारी श्रद्धा इतनी सशक्त बने कि भगवान के नाम में भी भगवान के दर्शन हो, भगवान ******** कहे कलापूर्णसूरि -
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