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हेतु शास्त्र हमारे समक्ष दर्पण बन कर आते है ।
✿ भूख लगी हैं तब खायें तो भूख का शमन हो जाता है । प्यास लगी हो तब पानी पियो तो प्यास का शमन हो जाता है, परन्तु क्रोध आने पर क्रोध करो तो उसका भी शमन हो जाये, यह बात नहीं है वह तो उल्टा बढता है । माया, मान, लोभ, काम, इर्ष्या आदि सब में यही समझें । यह समस्त मोहनीय का उत्पादन है । १९. वा गुण
है
भगवान की भक्ति । भक्ति इस लिए कि वह न हो तो आये हुए गुणों की सुरक्षा नहीं होगी । हमारी और से परमात्मा के प्रति अनुराग में ज्यों ज्यों वृद्धि होती जाती है, त्यों-त्यों हम पर परमात्मा के अनुग्रह में वृद्धि होती जायेगी ।
बिल्ली के बच्चे को स्वयं उसकी मां पकड़ती है, भक्त को भगवान पकड़ते हैं ।
बंदरी के बच्चे मां को स्वयं पकड़ते हैं । ज्ञानी भगवान को पकड़ता हैं ।
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बंदरी के बच्चे को कूदना नहीं आता, फिर भी मां जितनी कूदती है उतना ही वह कूदता है । क्योंकि वह मां की छाती से चिपका हुआ है ।
इसी प्रकार से भगवान को यदि हम पकड़ लें तो ? यदि हम सम्पूर्ण शरणागति स्वीकार कर ले तो भगवान हमारा सब सम्हाल लेंगे ।
बंदरी का बच्चा जब तक पुष्ट नहीं होता, तब तक वह माता को छोड़ता नहीं है । क्या हम इतना भी नहीं समझते ? हम भगवान को कैसे छोड़ सकते हैं ?
वि. संवत् २०२९ में मनफरा चातुर्मास (वर्षावास) में प्रवेश के समय बाल मुनि पूर्णचन्द्रविजयजी को भोजाभाई कारिया ने अपने कन्धे पर उठा लिया, उस प्रकार अमुक कक्षा के बाद भगवान स्वयं भक्त की रक्षा करता है ।
मद्रास (चैन्नई) में एक बार ऐसी परिस्थिति हुई कि जाने की तैयारी । मैं ने कल्पतरुविजय को कह भी दिया, 'बस, जा
***** कहे कलापूर्णसूरि - १
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