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साधन प्रकरण सुषुम्नाके साथ मिला है ( १म चित्र देखो)। वहांसे इड़ा वाम नासापुटमें और पिङ्गला दक्षिण नासापुटमें गयी है। ___ मस्तक-प्रन्थिसे सुषुम्नाकी गति कुछ विचित्र हो है ( २य चित्र देखो ) उस प्रन्थिसे सुषुम्ना दो शाखाओंमें विभक्त हुआ है उसमें से एक शाखा मस्तकके भीतर मस्तिष्कके नीचेसे थोड़ा टेढ़ा हो पाकर भ्र के पास थोड़ा ऊर्द्धमुख होकर आज्ञाके कर्णिकाको भेद करके इड़ापिङ्गलाके साथ मिला है; पश्चात् बाहर आकर उर्द्धमुखमें ठीक सीधा उठकर कपारके बीचो बीच
२य चित्र स्थानमें भीतरी तरफ एक अतिसूक्ष्म छिद्रपार होकर भीतरमें प्रवेश करके थोड़ा सा झुककर थोड़ा वक्रगति लेकर ऊर्द्धमुखमें खड़ा होकर मस्तिष्कमें सहस्रारको भेद करके ब्रह्मरन्ध्रमें प्रवेश किया है। दूसरी शाखा मस्तकप्रन्थिसे ऊपर के तरफ खोपड़ीके नीचे नीचे शिखर तक (अर्थात् जहां शिखा रक्खा जाता है, वहां तक) इड़ा............ सीधे उठके, वहांसे थोड़ा
पिङ्गला...... टेढ़े होकर ब्रह्मरन्ध्रमें प्रवेश किया है। सुषुम्नाके इस शाखाका ब्रह्मरन्ध्रस्थ मुख बन्द है, प्रथम शाखाका मुख खुला है। इसलिये एक शाखाके छिद्रके साथ दूसरे शाखाके छिद्रसे संयोग नहीं है। योगीके योगावलम्बनसे प्राण त्याग
सुषुम्ना .......