________________ मानसारे [पध्याया 316 820 324 सर्वालङ्कारसंयुक्त व्यालपाहादिभूषितम् / तदेव तुझा(जम)शमा(शा)धिक्यं जन्मतुझं कलांशकम् // 157 / / तदूर्धन पगं स्यात्कम्पमधेन कारयेत् / ग्रंशं महाम्बुजं चोर्चे पद्मनिम्नं शिवांशकम् // 158 // अर्घनाजं तदूचे तु सार्धाशं कुमुदोदयम् / अर्धनार्ज तथा कर्ण प्र(चा)र्धनाजं तदूर्ध्वके // 15 // साधाशं पट्टिकोत्तुङ्गं पनकम्पं शिवांशकम / पर्धेन निम्नकं चोर्ध्वं तत्समा(मम)न्तरितं तथा // 160 // एकान प्रति चोर्ध्व वाजनं चार्धमागिकम् / एकांश कन्धरं प्रोक्तं कम्पमधेन योजयेत् // 161 // पामधेन सार्धाशं कपोतां(तम)शेन वाजनम् / एकं तत्प्रतिबन्धं स्याद्विविधं तत्प्रकीर्तितम् // 12 // शेषं तु पूर्ववत्र्यात्सर्वालङ्कारसंयुतम् / तुओं षड्विंशदशेन(शे च) जन्मतुझं कलांशकम् // 163 / / क्षुद्रोपानं शिवांशं स्यात्पयतुङ्ग कलांशकम् / एकन कम्पकं चोर्वे कन्धरं च द्विभागिकम् // 164 // वदूधै कम्पमेकांशं पद्ममेकेन कारयेत् / पर्य(त्य)शं कुमुदचं स्यात्पद्ममेकेन कारयेत् // 165 // कम्पमेकं तदूध्वं च ग्रंशकैर्गलमेव च / तदूर्षे कम्पमेकांशं पद्ममेकेन कारयेत् // 166 / / कपोताचं द्विभागं स्याच्छेषं तत्प्रतिवाजनम् / वृत्तं वा पट्टकम्पं वा कपोता(त) वापि पट्टिको // 167 // प्रध(धः) कर्णद्वयोर्देशे व्यालरूपादिभूषितम् / चतुर्विशांशक(के) तुङ्गे जन्मोत्सेधं गुणांशकम् // 168 // कम्पमीशं तदूर्ध्वं तु निम्नमंशेन कारयेत् / एतदूर्ध्व पञ्चभागेनैकैकं भद्रसंयुतम् // 166 / / तदूर्वे कम्पमेकेन तत्समं निम्नकं भवेत् / वत्समा(मम)न्तरितं चोर्चे भागेन प्रतिसंयुतम् / / 170 // 328 332 336 340