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EPIGRAPHIA INDICA.
[VoL.XXI.
-51, BS-8-10, 12, 17, 18,29931, 32, 39 and
TEXT. IMetres:-Vv.1,2 (1) and 52, Arya; w.3-6,8, 11, 13-15,23,26,29,31,32, 39 and 60, Sāraujavikridita ; vv. 7 and 16, Vasantatilakā; v. 9, 10, 12, 17, 18, 22 and 33, Sragdharā; v. 19.20.24.26, 27, 28, 30, 34, 36, 37, 44-51, 53-59 and 61, Anushtubhv.21, Maliniv. 35. Salini; v. 38, Upajati%; vv. 40-43, Totaka.] 1 'पों घों नमः शिवाय ॥
धृतगगमसिंधुपहः शैलसुतामालभंजिकासुभगः । जयति जगत्र(च)यमंडपमूलस्तंभो महादेवः ॥[*] जयतिं शिवो यन्मू[]ि . . . . .........[1]--------------[२]-- - -[-] .
मांककलया सद्यः प्रपद्यामृत वामः प्राप्य सुरा जगाम गरल ग्रासादधोरः सुखं । गानेन समुद्रमंथनविधो नेत्रोक्तः परगो--- - - v---u--U-[ngn*]---vu-u-uuu
--- - -- - 3 तैमैम्मीसलिताः पुनर दलिताचूडेंदुलेखांशभिः । भूयः स्फारभुजंग
भोगम(ग)रसम्वासोम्मिभिः संभृताः शंभोः पातु कठोरकंठ - ------- [॥४॥"] --- -- - -- -U--u----vu-u-vuu
ते कुटुंब (4) हरिः । मैनाकार्षा(ई)दयोः खसुस्तव एहे को नाथ मे वर्तते मिथ्याई भवतः प्रियेवगमुताषिप्तो हरः पातु वः ॥५[*] पत्रास्त्यर्बु (g)द -u-vuu---u--u----vu-u--- -- -[1]--- - - [वि.].
सते होमक्रियाप्रक्रमे कंडाम्नः परमार त्यभिधया दिव्यः पुमानुस्थितः [*] पासीदकुंठभुनदर्घकठोरवैरिकंठास्थिनिहलनदंतुरखाधारः। --~v-uu-u----u-uuu-uu-u-- [ROM]---vu-u-uu
मये संतापनार्थं मुहुप्रचंडोहामररावासककुभि द्राताडिते दुंदुभौ । चलु: पीलुघटातुरंगम
From an impressione kapromed by a symbol. [It
preferable to read the symbol m siddham.-Ed.)