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________________ FEBRUARY, 1913.) PARAMAJOTISTOTRA अथ परमजोतिस्तोत्र ॥ दोहा परम-जोति परमातमा परम-ज्ञान-परवीन । वन्दो परमानन्द मैं घटि घटि अन्तरजीन ॥१॥ चौपाई निर्भ-करन परम-परधान | भव-समुद्र-जल-तारण जाँण । शिव-मन्दिर अघ-हरन अनिन्द । वन्दौं' पास-चरण-अरविन्द ॥१॥ मठ-मान-भखन-पर-वीर | गिरमा सागर गुणह गभीर । पुरगुर पार लहे नहि जास । मैं अजान अपहूँ जस तास ॥२॥ प्रभु-सम्प अति-अगम अथाह । क्यों हम-सै-पै होय निबाह । ज्यो दिन-अन्ध मलू को पोत । कहि न सकै रवि-किरण-उयोत ।।३।। मोह-हीन जाणै मन-माँहि । तो-उ न तुम गुण वरण जाहि। प्रले पयोधि करै जन-पौन । प्रगटै रतन गिणे ते कोण ॥४॥ तुम असषि-निरमल-गुण-पाँनि । मैं मति-हीन कहाँ निज-बाँनि । ज्वौ बाजक निजबाह पसारि । सागर-परमति कहै विचारि ॥५॥ जे जोगेन्द्र कर तप घेद । ते-उ न जाँणै सुम गुण भेद । भाव भागति मनि मुझ अभिलाष । ज्यो' पॅपी बोले निज-भाष ॥॥ तुम जस माहिमा अगम अपार | नौव एक त्रिभुवन-भाधार । आवै पवन पदम-सरि होय । भीषम-तपति निवार सीब ।। ॥ तुम आवत भवि-जन घट-माँहि । कर्म-बन्ध सिथन होय जाँहि । क्यों चन्दन-तरि बोले मोर । डरै भुयङ्ग लगे चहुँ ओर ॥४॥ सुम निरपत जन दीन दयाल | संकट-तै छूटै ततकाल । ज्यो. पमु घेरिलेहि निसि चोर । ते तजि भागत देषत भोर ॥॥ तुम भवि-जन-तारक किम होय । ते चित धारि तिरै'ले तोय । यौ ऐसौ करि जाँणि सुभाव । तिरै मसक क्यों गरभित-बाव ।। १०॥ जिनि सब देव किये वसि वाम । है छिनमैत्रीत्यो सो कॉम। जो जज करे अगन-कुल-हाँनि । वडवानल पीवै सो पानि ॥१५॥ तुम अनन्त-गरवा-गुण जिये । क्यौ करि भगति-धरौ' निज-हिये। बह लघु-रूप तिरै संसार । यह प्रभु-महिमा अगम अपार ।। १२ ।। क्रोध-निवार किये मन-शान्ति । कर्म-सुभट जीते किहि भाँति । १)परमात्मा, जांना १)अनेक २) गंभीर, नही, जपू पूत, कह, कीरणः ४)भाण, माहि परसै (instead of प्रले), कोण ५) मुति, कही। .)महमा, ऐक, विभवन, सिरः ८) कर्मनिबंध, भबंग, उर; १) १०)सवि (intend of भवि), बो, ऐसार ११) मिन, कीव, क्यो, हाणि, पान, १२) बेह, महमां, १५) कीयो, किह, पटतर, मारनविरष. • For: गरिमा From अलकउलक; Contracted form from वमन.' An instance of the emphatio partiolo having combined with the Anal inherent of the word to whole it wm added.
SR No.032534
Book TitleIndian Antiquary Vol 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRichard Carnac Temple, Devadatta Ramkrishna Bhandarkar
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages400
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size16 MB
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