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________________ महाजनवंश मुक्तावली. गुरूकी आज्ञासें अमृत छिड़का तत्काल अक्षत अंग चारों बीर योद्धार खड़े हुए गुरूके चरणकी पूजा करी सब राजपूत अचरजके भरे जैनधर्म अंगीकार करा उन्होंके न्यारे २ गोत्र स्थापन करे उन्होंके नाम समुच्चय लिखेंगे राजा खरहत्थके बडे पुत्र अम्बदेवने चोरोंको पकड़ा वेड़ियें डाली सो चोर वेड़ियें अथवा चोरोंसें जाय भिड़े इस वास्ते चोर भिडिये कह लाये लोक चोरडिये कहा करते हैं चोर वेडियोंमेंसे बहोत. साखें निकली १ तेनाणी २ धन्नाणी ३ पोपाणी ४ मोलाणी ५ गल्लाणी ६ देवसयाणी ७ नाणी ८ श्रवणी ९ . सद्दाणी १० कक्कड़ ११ मक्कड़ १२ भक्कड़ १३ लुटंकण १४ संसारा १५ कोवेरा १६ भट्टारकिया १७ पीतलिया १८ सोनी १९ फलोदिया २० रामपुरिया २१ सीपाणी, दूसरे नींव देवकी शन्तान वाले, भटनेरा.चौधरी, कह लाए, इन्होंने भटनेरके लोकोंकी, चौधरायत, भटनेरके राजाके कहणेसें करी, तबसें भटनेरा चौधरी कहलाये, तीसरे भंसा शाहके ५ स्त्रियां थी इन्होंने अपना रहना, मालवदेश, मांडवगढ़ मैं करा था इन्होंके ५ स्त्रियोंसे ५ पुत्र चौथा पुत्र कुंवरजी इन्होंकी शन्तानवाले सांवण सूका कहलाए सो इस तरह कुंवरजी बहुत ज्योतिष निमित्त शकुन शास्त्र पढ़े थे जो - बात कहते सो प्रायः मिलही जाती मांडव गढ़सें चित्तोड़के राणोजीने कुंवरजीको बुलाये, परिक्षा करणेकों पूछा, कहो कुमर, सावण भादवा कैसे होगा, तब कुंवरजी बोले सावण सूका, और भादवा हरा होगा, राणेजीने वहां ही रक्खा अन्तको जैसा कहा, वैसा ही हुआ, तब राणेजीने कहा, सच्च तुम्हारा कहणा, सावण सूका गया, तबसें लोक, सावण सूका २ कहने लगे, इन्होंके वंश मैं गुलराजजी गुड़के गुल गुले वना २ कर छोकरोंको खिलाया करते, इसवास्ते छोकरोंने गुल गुलासेठ नामधरा कुंवरजीके वंशवाले, जैसलमेरसें गूगलका व्यापार पालीनग्र मैं करते, इससे लोक गूगलिया कहने लगे, दूसरे वेटे २ गेलोजी इन्होंके पुत्र वछराजजीकों मांडव गढ़के लोक गेल वछा कहते २ लोकोंमें गोलछा कहलाने लगे, तीसरे वेटे वुच्चा साह इनकी शन्तान वुच्चा कहलाये ४ वेटा पासूनी आहड़ नगर मैं राजा चन्द्रसेनने इन्होंको सरकारी ज्रवाराहत खरीदने पर झंवरी कायम
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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