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प्रस्तावना.
प्रदान करेंगे, भूल-होना मनुष्य मात्रका धर्म है, सर्वज्ञ वीतरागही भूलसे वचे है, श्रीरस्तुः कल्याणमस्तुः
पुस्तक मिलनेका ठिकाना. . १ उपाध्याय रामलालजीकी विद्याशाला वीकानेर मारवाड मोहल्ला रांघडी २ जैन मांगरोल सभा, मेघजी हीरजी मुंबई पायधोणी ३ श्री चिंतामणिजीका मंदिर पाटियादारी मुंबई दूसरा भोईवाडा. - छपे हुये ग्रंथ
न्योछावर १ रत्नसमुच्चय (रत्नाकर सागर) खरतरगच्छ, तपागच्छके सर्वधर्म कर्त्तव्य, ७) २ पूजामहोदधि, ३७ पूजागायन विधियुक्त ३ दादागुरुदेवपूजा, सिद्धमंत्रयुक्त ४ दादागुरुगुणरत्नावली, स्तवन, छंद, अष्टकादि, .. ५ व्यवहारालंकार, धन कमानेका ६ सिद्धमूर्ति भागप्रथम ७ सिद्धमूर्तिभाग दूसरा, ३२ सूत्रपाठसे मूर्तिपूजा ८ शकुन, दुपग्गे, च उपग्गे, कालसुकाल, भावी फल मालम होना ९ चाणक्य १६ अर्थ, पाशाशकुनावली, स्वरोदय भाषा १० पंचप्रतिक्रमण, १६ स्तोत्र अर्थयुक्त ११ वैद्यदीपक, इसमें, रोगपरिक्षा, इलाज, देशी, यूनानी, ___ डाक्टरी, होमियापथी, स्त्री, बाल, पशुचिकित्सा, अजमूदा है। १२ स्वप्नसामुद्रक, तेजी मंदी, नीलामके अंक निकालन विधिः १३ जैनदिगविजय
१४। २२ समुदायवालोंके उपयोगी गुणविलाश । - १५ महाजनवंश मुक्तावली, दुसरी आवृत्ति, अति उपयोगी स्थलवृद्धि, २॥)
जबाब मंगानेवाला जुडा हुआ कार्ड भेजा करे, पुस्तक मंगाकर विदेशसे पीछा. लोटावै, उसको २४ तीर्थकरकी सौगन है, नाटपेट पत्र नहीं लेंगे, सौ रुपयेसे .. कम पुस्तक खरीददारको, कमीसन नहीं मिलेगा, इस समय कागद छपाई सबकी
मंहवाई, जिसपर पोष्ट वे रजीष्टरी पोथी नहीं लेती, टिकट खरचदूना करा है।
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