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________________ अनुक्रमणिका। color: भूमिका अनादि जैन धर्मका कथन ........ अठारेगोत्रओ सबाल तथा भोजकोत्पत्ति ... सुचिंति गोत्रोत्पत्ति... ... ... ... वराढ़िया दरडा गोत्रोत्पत्ति ... चोपडा, कोठारी, गणधर, चीपड-गांधी-वडेर-सांड-गोत्रोत्पत्ति धाडेवा-पटवा-टाटिया-कोठारी- . ... गोठि गोत्रोत्पत्ति ... ... खींवसरा गोत्रात्यत्ति .. समंदरीया गोत्रोत्पत्ति झाबक-झांबड-झंबक ... ... . ... वांठिया-लालांणि-त्रमेचा-हर्षावत-साह-मलावत- ... . चोरडिया-भटनेरा-चोधरी-सांवसुखा-गोलछा-पारख-बुच्चागुलिया-गुगलिया-गदहिया-रामपुरिया साखपचास-... भंडसाली २ चंडालिया-भूरा-वद्धाणी- ... .. भंडसाली सोलखी .... ... ... . आयरिया लुणावत... ... ... बहुफणा वाफणा ... ... ... ... ... रत्नपुरा-कटारिया-जलवाणि ... ... डागा-भालू-भामु-पारख-छोरिया रांकासेठि सेठिया काला-वोक-वांका-गोरा-दक राखेचा-पुगलिया-.......
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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