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________________ शिखाणा जमानेके अनुसारही चाहिये, व्यापार हरकिस्मके करके, धन उत्पन्न करणा गृहस्थोंका मुख्य कृत्य है, तथापि तिल वगैरह अनाज फागुण महिने उपरान्त रखणेसें, महाजीवोंकी हिंसा होती है, सब कार्योंमें विवेकही रखणा मुख्य धर्म है, ( विचार ) जैसे गीतामें लिखा है ( स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः इसका अर्थ निर विवेकी कुछका कुछ करते हैं, लेकिन कृष्ण द्वैपायन व्यास आगामी चोबीसीमें तीर्थकर होणेवालेकी बनाई गीता कर्मयोग ग्रंथ है, इसके वचन प्रायः विसद्ध होय नहीं, इस-- वास्ते इसपदका सीधा अर्थ ज्ञानियोंके मान्य करणे योग्य विवेकी ऐसा समझते हैं, स्वधर्म क्या वस्त, आत्माका ज्ञान १ दर्शन २ चारित्र ३ तप ४ रूपधर्म, इस धर्ममें, निधनयानें इस शरीरके त्यागणेसें, श्रेय, याने मोक्ष होता है, परधर्म, याने कर्म जड़ पदार्थका, जो मोह, अज्ञान, मिथ्यात्व, अब्रत रूपधर्म है, सो भयका देनेवाला है, ऐसा अर्थ विवेकी करते हैं, इत्यादिक हर पदार्थपर, विचारणा, उसका नाम विवेक है, । (स्त्रियोंके लिये शिक्षा) पवित्रता रखणा, शील व्रत धारणा, स्त्रियोंका मुख्य शृङ्गार है, पतिकी भक्ति करणा, आज्ञानुसार वरतणा, घरका काम देखणा, रसोई बनाना, चुणणा, बीनना, फटकणा, कूटणा, पीसणा, छाणना, सब कामोंमें जीवोंका यत्न करणा, पापड़वडी दाल बनाना सुकान बिगड़नेवाले पदार्थों में फूलण कीडे न पड़ने पावे छायामें फैलाकर हवा देणा, उनू रेशमी वस्त्रोंको चातुरमासमें जीव नहीं पड़ने पावै इस तरकीबको ध्यानमें लाणा चाहिये, आचार मुरब्बा, बनाकर बिगडने, नहीं देना, वस्त्र धोए रंगे सुगन्धित रखणा, बच्चोंको स्नान, मञ्जन खान पान, पासाख गहणोंसे अलंकृत कर, पढाने भेजना, लडकियोंको लिखत पठत सींवना गुंथणा, कसीदा, चम्पा, अलमास, गोखरू वगैरह औरतोंकी चोसठकला, जैसें श्री ऋषम आदीश्वरने अपनी लडकिये, ब्राह्मी सुन्दरीकों सिखलाई, उसमेंकी बणे जहांतक . सिखलाणा, क्योंके स्त्रियोंकों जगह २ पुरुषोंकी अर्द्धागा फरमाई है, और सच है भी ऐसा, मनुष्य धन कमाणा इतनेही मात्रका. मजूर है लेकिन
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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