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________________ १५६ महाजनवंश मुक्तावली. घर धणियाणी स्त्रीही कहलाती है, अगर वह अणपढ कलाहीण होगी तो, पुरुषका आधा अङ्ग बेकाम होजाता है, जैसें पक्षाघात (लकवा) में होता है, ये भी एक जन्मभरका रोगही लगा समझा जाता है ( दोहा ) पुत्र मूर्ख चपलाति या, पुत्री विधवा जात, धनहीना शठ मित्रतें विना अन जर जात, १ ये पांच योग जब बण आते हैं, तबबिना अंगारके मनुष्य जल जाता है, जिन स्वार्थ तत्परोंने ऐसे २ वहम हिन्दुस्थान में डाल रखे हैं कि, लड़कियोंको हरगिज नहीं पढणा, वह व्यभिचारिणी वा विधवा हो जाती है उन धर्माध्यक्षोंने ये विचार करा के, जो घर वणियाणी ज्यादह पढी हुई होशियार होगी तो, हम गपोड पुराण सुनाकर धर्म राजके ईश्वरके, तथा नवग्रहोंके अङ्ग, या आडतिये, वणकर, माल उतारणेका, ढंगजमावेंगेतो, हरगिज नहीं ठगायगी, सच्च है इस अण पढ़ताके कारण घरमें किसीको बिमारी होती है तो, झाडा फूंका करा जोगी फक्कड काजी मुल्लोंके हाथ हजारोंका माल ठगवाती है, या किसी मनमांनें भूत पलीतका बोलवाकर मूर्ख अणपढ कुमार्गी कुपात्रों को भोजन वस्त्र रुपया वगैरह जो वह मांगे, सो देती है, लेकिन रोगकी परिक्षा कराकर, विद्वान वगैरह वैद्य डाक्टरोंसे, किसी तरहसें पेश नहीं आने देती जो कभी भाग्य योग, घरमेंका स्याणा आदमी किसी वैद्यकों लावेगा तो प्रथम तो उसकी कही बात पर अमल न होणे देगी, या रोगीकों मनमाने कुपथ्य खिलावेगी, और मनमें समझेगी, वैद्य तो पथ्य कराकर, मारही डालते हैं, जब अच्छी मनमानी चीजें खायगा तो, ताकत आकर झट आराम आ जायगा दवाइयोंसें क्या होणा है, या तो अमें, भैरू पितर, मांडिया, देवियां नचायगी, ये सब काम अणपढ़ी स्त्रियोंके साथ, सम्बन्ध रखते हैं, वाजै २ अणपढ़, स्त्री भक्त, मोह ग्रसित मनुष्य भी काठके उल्लु ऐसे २ होते हैं, विधवा होना पूर्व जन्मका संस्कार हैं, प्रथम तो लड़केकी आयुररेखा समझ वारोंसें मालुम कराणी ज्योतिषी पूरे विद्वानसें ग्रहाचार आयुरेखा निश्चय करा कर, पीछे लग्न करणा चाहिये, वरके तरफ खयाल नहीं करती, घरके तरफ खयाल करती हैं, गहना kambar
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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