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महाजनवंश मुक्तावली.
१४९ कार हुए विगर हर किसीका करणा नहीं ६ स्त्रियोंको कुलवन्ती सुलक्षणी चतुरा सिवाय हर किसीकी संगत नहीं करणे देणा ७ अपनी तासीरकों नुकशान करे ऐसा पदार्थ ऋतुके विरुद्ध व कुलके विरुद्ध व प्रकृतीके विरुद्ध कभी खाना नहीं या पूर्ण विद्यावान् देशी वैद्यकी आज्ञा उपदेश हमेशा धारण करणा ९ कोई तरह काभी व्यसन सौखसें सीखणा नहीं १० रोग कारण और विचारणा ११ कठिन शब्द किसीको बे कारण कहना नहीं १४ घरका भेद कुमित्रोंकों कभी देणा नहीं १५ धर्मी पुरुषकों वणे जहां तक सहाय देणा १६ परमेश्वर और मौत, अपने पर किया हुआ उपकार इन तीनोंको हर दम याद करते रहना १७ किसीके घर पर जाणा तो वाहिरसें पुकार कर अन्दर घुसणा १८ मुल्कगिरी करते वक्त हाथकी सच्चाई १ जुवान की सच्चाई २ लैन दैनकी सच्चाई, लंगोटकी सच्चाई रखणा, १९ और वे खबर गफलत सोणा नहीं २० वणे जहां तक इकेलेने मुसाफिरी नहीं करणी, २१ फाटका करणेवाला तथा जुवारीकों गुमास्ता रखणा नहीं रुपया उधार देणा नहीं २२ मंत्र पढ़कर या किमिया गिरीसें जो पुरुष द्रव्य चाहते हैं, उन्हों पर देवका कोप हुआ समझणा, २३ अपने लड़का लड़कियोंको हर एक तरहका हुन्नर सिखलाणा, इल्म सिखाणा, अखूट धन देना है २४ सरकारके कायदेके वर खिलाफ पांव नहीं धरना, २५ धन पाकर गरीबोंको सताणा नहीं, २६ अभिमान करणा नहीं २७ तनमन और वस्त्र हमेस साफ रखणा, २८ जैनधर्मके मुकावले दूसरा धर्म नहीं २९ क्योंके अहिंसा परमो धर्मः इस वर्तावसे इस धर्मका सारा व्यवहार है, पक्का इतकात रक्खो ३० जीव अपने पूर्वके किये हुए पुन्य पापसें सुख दुख पाता है ईश्वर किसीका भला बुरा नहीं करता, ३१ दुनिया न तो किसीने बनाई है और न कोई नाश कर सकता है, पांच समवायके मेलमें सारा काम घटत बढ़त हो रहा है काल १ स्वभाव २ भवितब्यता ३ जीवोंके कर्म ४ जीवोंका उद्यम ५ सब इन्होंकाही फेरफार __ १ खानपानादि आहार विहारादि आरोग्यताके लिए हमारा लिखा वैद्य दीपक ग्रंथ छपा हुआ पढो, न्योछावर ५).