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________________ १४० महाजनवंश मुक्तावली चवरी चाढ़, दीवी मंडोवर दायजे, इंदातणो उपकार कम धन कदियन वीसरे, पीछे सुनाहै के चूंडेजीके १४ जाये १४ रावकहा ये प्रथम योधपुर १ बीकानेर २ किशनगढ़ ३ रतलाम ४ झबुआ ५ ईडर ६ अहमदनगर ७ इत्यादिक १४ ही राजा हुए। ( अथ योधपुर तख्तनसीन महाराज ) १ रावश्री योधाजी ११ महाराजा श्रीजसवन्त सिंहजी । २ रावश्री सांतलजी १२ महाराजा श्रीअजीत सिंहजी . ३ रावधी सूजाजी १३ महाराजा श्रीअभय सिंहजी ४ रावश्री गांगोजी १४ महाराजा श्रीराम सिंहजी ५ रावश्री मालदेवजी १५ महाराजा श्रीवखत् सिंहजी ६ रावश्री चन्द्रसेनजी १६ महाराजा श्रीविजय सिंहजी ७ महाराजा श्रीउदय सिंहजी १७ महाराजा श्रीभीम सिंहजी ( महाराजा श्रीसूर सिंहजी १८ महाराजा श्रीमान सिंहजी ९ महाराजा श्रीगज सिंहजी १९ महाराजा श्रीतख्त सिंहजी - १० रावश्री अमर सिंहजी नागोर . २० महाराजा श्रीजसवन्त सिंहजी तख्त विराजे २१ सिरदार० सुमेरु० उम्मेद (जेसलमेररावलराजा) सिंहजी चिरञ्जीवी विजयराज्यै सात कुलगर विमल बाहन वगैरह सातमानामि १ ऋषभ ब्रम्हा २ आत्रेय प्रथम वैद्य ३ असंक्षा पाटवीते सोम ४ असंक्षा पाटवीते वुद्ध ५ असंक्षा पाटवीते पुरूरवा ६ असंक्षा पाटवीते आई ७ असंक्षापाटवीते लघु ( फिर असंक्षा राजाहुए ९ असंक्षा पाटवीते, जयात्र १० असंक्षा पाटवीते चन्द्र कीर्ति ११ इसके पुत्र नहीं तब युगलक दूसरे क्षेत्रसे: लाकर देवता तख्त विठलाया हरि राजा यहांसे हरि वंश कुल प्रसिद्ध हुआ:चम्पा नगरीमें जो दक्षिण मुगलाईमें वीडनामसे प्रसिद्ध है १२ इसके असंक्षा वर्ष पर दष्टाद १३ असंख्या पीछे अजोन १४ असंक्षा वर्ष वीते अधिपती १५. असंक्षा वर्ष वीते थाई १६ सरमेन्द्र १७ उमेकर १८ चित्र १९ चित्र रथ २० चक्रधन २१ अष्ट कर २२ चन्द्र कुमार २३ अत्रेय २४ सह
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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