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________________ 420 जैन-विभूतियाँ खरतर गच्छ विभूषण श्री मोहनलालजी महाराज के समुदाय के गणिवर्य श्री बुद्धि मुनि से दीक्षा लेने के उपरान्त भारत के विभिन्न प्रान्तों में चातुर्मास किए। आपने नूतन जिनालयों में बिम्ब प्रतिष्ठाएँ करवाई एवं जिर्णोद्धार करवाए। अनेकानेक नगरों में आपने उपधान तप एवं धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराए। आपकी अन्त:करण स्पर्शी प्रवचर शैली एवं ओजस्वी वाणी धर्मानुरागी लोगों को आकर्षित कर उन्हें आत्म-कल्याण की ओर प्रेरित करती है। 3. स्व. सेठ तखतमल भूतोड़िया, लाडनूं लाडनूं के भूतोड़िया परिवार श्री गंगारामजी के वंशज हैं। सेठ भेरूदानजी के सुपुत्र सेठ तखतमलजी जबरदस्त अध्यवसायी थे। वे बंगाल में व्यवसायोपरांत श्री गंगानगर में व्यवसायरत रहे । वहाँ तात्कालीन व्यवसायी संघ के वे अध्यक्ष एवं सरपंच रहे। दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर विवाद सुलझा देने में उन्हें महारत हासिल थी। कानपुर में नवीन आढ़त व्यवसाय स्थापित कर वे सन् 1976 में स्वर्गस्थ हुए। उनकी धर्मपत्नि श्रीमती सूवटी देवी एवं सुपुत्री सोहनीदेवी धर्मपरायण महिलाएँ थी। सेठ तखतमलजी के द्वितीय पुत्र श्री चम्पालाल कानपुर में एवं तृतीय पुत्र श्री सरोज कुमार दिल्ली में व्यवसायरत हैं। ज्येष्ठ पुत्र श्री मांगीलाल कलकत्ता में अपने सफल वकालत पेशे से रिटायर हो पूर्णत: सांस्कृतिक लेखन को समर्पित हैं। उनके द्वारा लिखित "ओसवाल जाति का इतिहास' की दस हजार से भी अधिक प्रतियाँ वितरित हो चुकी हैं। ग्रंथ के प्रकाशनार्थ संस्थापित 'प्रियदर्शी प्रकाशन' अब तक हिन्दी, अंग्रेजी एवं गुजराती भाषा के अनेक ग्रंथ प्रकाशित कर चुका है। पिताश्री की स्मृति में संस्थापित 'श्री तखतमल भूतोड़िया अनुदान ट्रस्ट' से प्रतिवर्ष रजनीश-साहित्य देश के विभिन्न ग्रंथागारों को भेंट किया जाता है। प्रियदर्शी परिवार की रीढ़ श्रीमती किरण की काव्यकृतियाँ "चेतना के पड़ाव' एवं The Glimpse supreme को मनीषी काव्य प्रेमियों की प्रशंसा प्राप्त हुई। 4. श्री मोहनलाल खारीवाल बैंगलोर की प्रसिद्ध चार्टर्ड एकाउन्टेंसी फर्म "खींचाखारीवाल'' के पार्टनर श्री मोहनलालजी खारीवाल का जन्म सन् 1927 में राजस्थान के ग्राम देवलीकलाँ में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जैन गुरूकुल, ब्यावर में हुई। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर आप बंगलौर चले गए। चार्टर्ड एकाउन्टेन्सी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर सन् 1954 में आप श्री खींचा के चार्टर्ड एकाउन्टेंसी संस्थान में पार्टनर बन गए। आप धर्म, समाज एवं साहित्य की प्रभावना के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। बंगलौर में हिन्दी शिक्षण संघ एवं श्री जैन शिक्षा समिति की स्थापना का श्रेय आपको ही है। भारतीय विद्या भवन के बंगलौर केन्द्र के आप उप चेयरमेन हैं। श्री भगवान महावीर जैन शिक्षण ट्रस्ट के आप अध्यक्ष हैं।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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