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जैन-विभूतियाँ भेजे। तीनों स्थानों पर आपका चुनाव हो गया। परन्तु आपको स्वच्छ तथा निर्मल जीवन पसन्द था तथा समाज-सेवा करना चाहते थे अत: अपने स्वभाव एवं रुचि के अनुरूप आपने व्याख्याता का पद चुना और आपकी नियुक्ति जसवन्त कॉलेज में व्याख्याता के पद पर जुलाई, 1947 में हो गई।
सन् 1948 में तत्कालीन जोधपुर नरेश हनवन्तसिंहजी के पुत्र हुआ। इस अवसर पर एक नई कॉलेज ''श्री महाराज कुमार कॉलेज' स्थापित की गई। परिणामस्वरूप श्री कुम्भट का स्थानान्तरण जुलाई 1948 को महाराज कुमार कॉलेज में कर दिया गया।
श्री महाराज कुमार कॉलेज से आपका स्थानान्तरण महाराणा भूपाल कॉलेज, उदयपुर हो गया। इस कॉलेज में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आर.के. अग्रवाल के साथ आपने एक पुस्तक 'इन्टरमीडिएट बुक कीपिंग' लिखी। समूचे राजस्थान की कॉलेजों तथा राजस्थान के बाहर भी यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय हुई और इसके कई संस्करण छपे। प्रो. एल.आर. शाह के साथ आपने 'बाजार समाचार' नामक पुस्तक लिखी। यह पुस्तक भी बहुत लोकप्रिय हुई तथा इस पुस्तक के भी बहुत संस्करण छपे।
महाराणा भूपाल कॉलेज, उदयपुर से आपका स्थानान्तरण महाराणा कॉलेज, जयपुर में हो गया। 1954 में आपका चुनाव आयकर अधिकारी के पद पर हुआ तथा प्रशिक्षण के लिए आपको दिल्ली भेजा गया। प्रशिक्षण के पश्चात् आप चाहते थे कि आपका स्थानान्तरण जोधपुर हो जाए ताकि अपने पिताजी की सेवा में रह सकें। लेकिन ऐसा करना आयकर अधिकारियों के नियमों के विरुद्ध था। अत: आपको जोधपुर नियुक्ति नहीं मिली। इस पर आपने अधिकारियों को लिखकर दे दिया कि अगर उनकी नियुक्ति जोधपुर नहीं की जा सकती है तो आपको पुन: उनके मूल विभाग, राजस्थान के कॉलेज में भेज दिया जाय। आयकर विभाग के अधिकारी यह नहीं चाहते थे कि ऐसा ईमानदार, मेहनती, सरल प्रकृति वाला होशियार व्यक्ति आयकर विभाग छोड़े। फलत: श्री कुम्भट की जोधपुर नियुक्ति के लिए विशेष मामला बनाकर उच्च अधिकारियों से विशेष स्वीकृति प्राप्त की गई तथा आपकी