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जैन-विभूतियाँ कोषाध्यक्ष रहे। संवत् 2005 में कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन के वे संयोजक मनोनीत हुए। राज्यों के एकीकरण के बाद संयुक्त राजस्थान में लोकप्रिय सरकार का गठन हुआ तो वे राज्य एसेम्बली के सदस्य निर्वाचित हुए। आप गांधीजी के हरिजन सेवक संघ से हमेशा जुड़े रहे। अनेक अन्य लोक हितकारी प्रवृत्तियों एवं संस्थाओं को उनका सहयोग एवं वरद हस्त प्राप्त था। संवत् 1982 में उन्होंने हिन्दू अनाथाश्रम की स्थापना की। भारत जैन महामंडल की जयपुर शाखा के आप सभापति रहे। संवत् 2011 से ही आप राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कोषाध्यक्ष रहे।
श्री टांक राजस्थान पींजरापोल गोशाला संघ, जयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स, जयपुर ज्वैलर्स एसोशियेसन आदि महत्त्वपूर्ण संस्थाओं के अध्यक्ष चुने गए। आप हरिभद्र सूरि मेमोरियल के कोषाध्यक्ष, राजस्थान स्टेट इन्डस्ट्रियल को-ऑपरेटिव बैंक के कोषाध्यक्ष एवं राजस्थान ज्योतिष मण्डल, राजस्थान हेंडीक्राफ्ट बोर्ड, आल इण्डिया खरतर गच्छ आदि संस्थानों के सदस्य रहे। ___सन् 1925 में श्रीमाल संघ की संस्थापना आपही की प्रेरणा से सम्पन्न हुई। सन् 1927 में साध्वी स्वर्णश्री जी की प्रेरणा से श्री टांक ने जयपुर में श्री वीर बालिका विद्यालय की स्थापना की। यह अब डिग्री कॉलेज बन गया है एवं 3000 से ऊपर बालिकाएँ यहाँ शिक्षा पाती हैं। आपने जयपुर शहर में एक धर्मशाला का निर्माण करवाया।