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________________ 367 जैन-विभूतियाँ 94. सेठ रामलाल गोलछा (1900-1983) जन्म : नवाबगंज (बंगलादश), 1900 पिताश्री : तनसुखदसजी गोलछा पद/उपाधि : प्रवाल गोरखा दक्षिण बाहु, 1963 दिवंगति : 1983 ___ अपने अध्यवसाय से समृद्धि हासिल कर ओसवाल समाज को गौरवान्वित करने वाले सेठ रामलालजी गोलछा का जन्म सन् 1900 में नवाबगंज (बंगलादेश) के साधारण व्यापारी परिवार में हुआ। शिक्षा भी अधिक नहीं पाई। आपके पिता तनसुखलालजी ने अलबत्ता महाजनी में पुत्र को दक्ष कर दिया। पन्द्रह वर्ष की अल्पवय में आपका विवाह हो गया। दो वर्ष बाद ही माता-पिता का देहांत हो गया। यहीं से उनके जीवन ने अलग मोड़ लिया। घर की जिम्मेदारी आपके कंधों पर आ पड़ी। आप नवाबगंज छोड़ सुन्दरगंज आ गये एवं वहाँ जूट का कारोबार शुरु किया। थोड़े समय बाद फारबीसगंज में भी शाखा खोल दी। सन् 1926 में उन्होंने विराटनगर में प्रवेश किया, तभी से भाग्यश्री उन पर मुस्कराने लगी। तत्कालीन विराटनगर एक जंगल एवं पिछड़ा प्रदेश था। वहाँ जूट खरीद कर कलकत्ता की मिलों में देना शुरू किया। उन्हें सफलता तो मिली ही पूरा प्रदेश इस व्यापार से लाभान्वित हुआ। सन् 1935 में उन्होंने सेठ राधाकिशन चमड़िया को विराटनगर में जूट मिल स्थापित करने के लिए राजी कर लिया। नि:स्वार्थ सेवाएँ देकर उन्होंने जूट मिल को नेपाल का शीर्षस्थ उद्योग बना दिया। गोलछा जी ने सन् 1942 में विराटनगर में नेपाल राजघराने के सहयोग से रघुपति जूट मिल की स्थापना की। लाखों रुपये का घाटा स्वयं बर्दास्त कर उन्होंने इसे चोटी के लाभप्रद उद्योग में बदल दिया। सन् 1959 में उन्होंने हिमालय जूट प्रेस की स्थापना की। जूट निर्यात के व्यवसाय में
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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