________________
351
जैन- विभूतियाँ
सन् 1968 में लालचन्दजी का देहावसान हुआ। उनके सुपुत्र श्री मोहनचन्दजी ढ़ढ़ा ने सम्पूर्ण कारोबार की डोर सम्भाल रखी है। उनके प्रयत्नों और सूझबूझ से 1972 में राज्य सरकार के सहयोग से " तामिलनाड ढ़ढ़ा फार्मास्यूटिकल' की नींव पड़ी। सन् 1977 में ट्रस्ट के फंड से "लालचन्द मिलापचन्द ढ़ढ़ा स्कूल' की स्थापना हुई ।