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________________ जैन- विभूतियाँ 87. श्री गुलाबचन्द ढ़ढ़ा (1867-1952 ) जन्म 347 पिताश्री पद/ उपाधि : जयपुर, 1867 : सागरचन्दजी ढ़ढ़ा : दीवान ( झाबुआ), मुख्यमंत्री (खेतड़ी) 1952 दिवंगति सुधार युग के अग्रणी श्री गुलाबचन्द ढढ़ा का जन्म जयपुर में सन् 1867 में हुआ। आपके पिता श्री सागरचन्दजी का जल्द ही देहान्त हो गया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जयपुर में हुई। सन् 1889 में उन्होंने अंग्रेजी में बी.ए. ऑनर्स किया एवं 1890 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एम. ए. की डिग्री ली । वे ओसवाल समाज में प्रथम स्नातकोत्तर डिग्री धारी थे । हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू एवं फारसी भाषाओं पर आपको समान अधिकार प्राप्त था। वे जयपुर रियासत में मुंसिफ नियुक्त हुए । उन्होंने विभिन्न पदों पर रियासत की सेवा की । अन्तत: माउंट आबू में महामान्य गवर्नर जनरल के राजपूताना स्थित एजेंट के यहाँ जयपुर दरबार के प्रतिनिधि की हैसितय से कार्यरत रहे। इस बीच कुछ समय तक खेतड़ी राज्य के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला। वे बीकानेर राज्य के लेखाधिकारी, जामनगर महाराजा के निजी सचिव, झाबुआ राज्य के दीवान आदि विभिन्न पदों पर भी कार्यतर रहे। उस समय जैन समाज निरक्षरता के चंगुल में फंसा हुआ था। समाज को इस कमजोरी से छुटकारा दिलाने के लिए सन् 1902 में फलौदी में जैन श्वेताम्बर कॉन्फ्रेंस की स्थापना हुई। कॉन्फ्रेंस के पिता रूप संस्थापक होने का श्रेय गुलाबचन्दजी को ही है। सन् 1907 में वे अखिल भारतवर्षीय जैन युवक एसोशियसन के अध्यक्ष चुने गए। वे श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन बालाश्रम के व्यवस्थापक थे । वे सन् 1933 में महाराष्ट्रीय जैन श्वेताम्बर कॉन्फ्रेंस, अहमदनगर के अध्यक्ष चुने गए। सन् 1935 में वे आत्मानन्द जैन
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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