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जैन-विभूतियाँ
343 अधिवेशन में आपका परिचय राष्ट्रीय नेताओं से हुआ। वे सभी इस 27 वर्षीय युवा उद्योगपति की कार्यदक्षता से प्रभावित हुए। कस्तूरभाई ने समय की माँग समझ कर कपड़ा मिलों की एक श्रृंखला ही खड़ी कर दी। रायपुर, अशोक, सरसपुर, अरविन्द, नूतन एवं न्यूकाटन मिल्स आपके अध्यवसाय एवं सूझबूझ की कहानी हैं। 1926 में आप जैनियों की प्रमुख संस्था आनन्दजी कल्याणजी ट्रस्ट के ट्रस्टी मनोनीत हुए। पालीताना शत्रुजय तीर्थ को आपकी महती सेवाएँ प्राप्त हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कस्तूरभाई रासायनिक उद्योग की ओर मुड़े एवं 18 करोड़ की पूँजी और अमरीका के सहयोग से बहुत बड़ा साम्रज्य खड़ा कर दिया।
सन् 1948 में अतुल प्रोडक्टस नामक संस्थान की नींव पड़ी। पं. जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया। सन् 1956 में भारत सरकार के तीन करोड़ रुपए के सहयोग से इस उद्योग का खूब विकास हुआ। विदेशों में संस्थान के माल की खपत से उद्योग चमक उठा।
. गांधीजी का आप पर बहुत प्रभाव था। पालीताना के राजा से शत्रुजय तीर्थ के विवाद पर आपने सत्याग्रह का सहारा लिया। सन् 1923 में आप राष्ट्रीय एसेम्बली के सदस्य बने। आप अनेक जन-हितकारी कार्यों से जुड़ेशान्तिनिकेतन, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी आदि राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाओं को लाखों रुपए दान में दिए। सन् 1937 से 1949 एवं 1957 से 1960 के बीच आप रिजर्व बैंक के निर्देशक भी रहे। गवर्नर के पद पर श्री सी.डी. देशमुख की नियुक्ति आपके ही सद्प्रयत्नों का फल थी। राष्ट्रीय उद्योगों को बढ़ाने की दृष्टि से आपने विदेशों की यात्राएँ की। सन् 1954 में रूस जाने वाले उद्योग और कृषि सम्बंधी भारतीय शिष्टमण्डल के आप नेता चुने गए। कांडला के नये बन्दरगाह की निर्मिति में आप प्रमुख प्रेरणास्रोत रहे। तदर्थ 1948 में भारत सरकार द्वारा निर्मित विकास समिति के आप चैयरमेन बनाए गए। प्रशासन की खामियाँ ढूँढ़ने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के आप अध्यक्ष रहे। गाँधी स्मारक निधि के लिए आपकी अध्यक्षता में पाँच करोड़ रुपए इकट्ठे किए गए थे। आप द्वारा संस्थापित अहमदाबाद एजुकेशनल सोसाईटी अनेक कॉलेजों का संचालन करती है। गुजरात