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________________ जैन- विभूतियाँ विभिन्न जैन मंदिरों एवं ग्रंथागारों में भिजवाई, चेत्यालयों में धार्मिक पुस्तकालयों का निर्माण कराया, जैन विद्या में अग्रगण्य विद्वानों को पुरस्कृत कर धर्म की प्रभावना की । भारत के विभिन्न नगरों में छात्रालयों (बोर्डिंग हाउस) की श्रृंखला निर्मित कर दी । 335 सेठजी सामाजिक क्रांति के सूत्रधार बने। उन्होंने बालविवाह, कन्या विक्रय, जातीय संकीर्णता आदि रूढ़ियों पर प्रहार कर परम्परावादी लोगों की आलोचना सही। इस तरह समाज की बिखरी शक्ति को एकत्रित कर उसे रचनात्मक दिशा प्रदान की । सेठ माणिकचन्द ने अपने चौपाटी स्थित भव्य 'रत्नाकर पैलेस' में एक चेत्यालय का निर्माण कराया। ब्रिटिश सरकार ने उनकी दानवीरता का समुचित सम्मान कर संवत् 1963 में उन्हें जे. पी. की मानद पदवी से विभूषित किया। संवत् 1967 में जैन समाज ने उन्हें "जैन कुलभूषण'' की उपाधि से सम्मानित किया । संवत् 1971 में मुंबई की प्रसिद्ध स्पेशी बैंक दिवालिया घोषित हुई । इसके परिणामस्वरूप सेठजी की आर्थिक रीढ़ टूट गई। उनके लिए यह प्राण घातक ही सिद्ध हुई । एक रात वे असह्य पीड़ा से छटपटा उठे। डॉक्टरों के पहुँचने से पूर्व ही उनके प्राण पखेरू उड़ गये ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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