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________________ जैन- विभूतियाँ एवं धर्म प्रचार के लिए "अगरचन्द भैरोंदान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था" स्थापित करने का निर्णय लिया । 321 आज से करीब 91 वर्ष पहले उन्होंने बीकानेर में कन्या पाठशाला स्थापित की और कामकाजी लोगों की दक्षता और अध्ययन के लिए पहला रात्रि कॉलेज खोला। बीकानेर को ऊन मण्डी के रूप में विकसित करने में उनकी ही पहल और प्रेरणा थी । बीकानेर में पहला छापा खाना उन्होंने स्थापित किया। पहली बार रोजगार देने के लिए खादी का धागा बनाना शुरु किया और इसके लिए 'हुनरशाला' स्थापित की। उन्होंने बीकानेर में पहला होम्योपैथिक अस्पताल खोला। जनता को कानून का ज्ञान करवाने के लिए संक्षिप्त कानून संग्रह प्रकाशित किया । ऐसे विलक्षण और दूरदर्शी थे श्री भैरोंदान सेठिया । उन्होंने पारमार्थिक संस्था के नाम कलकत्ता में अचल सम्पत्ति दान में दी, जिसके किराये व संचित राशि के ब्याज से संस्था निरन्तर गतिमान है। संस्था ने पाठशाला, छात्रावास, महिलाश्रम, सेठिया नाईट कॉलेज, ग्रन्थालय आदि द्वारा ज्ञान प्रसार की अलख जगाई है। सम्प्रति इसकी नैतिक, धार्मिक साहित्य प्रकाशन, होमियोपैथिक औषधालय, ग्रन्थालय, सिद्धान्त शाला, स्वधर्मी सहयोग आदि प्रवृत्तियों द्वारा सेवा, शिक्षण एवं ज्ञान -प्रसार की भागीरथी सतत् प्रवाहमान है। श्री सेठिया लक्ष्मी के वरद् पुत्र थे फिर भी आपने सरस्वती की सदैव ́ उपासना की। साहित्य में आपकी गहरी रूचि थी। महादेवी वर्मा आपसे मिलने बीकानेर आई थी और कई दिन तक आपका आतिथ्य ग्रहण किया था। वे आपकी बड़ी प्रशंसक थी। श्री इलाचन्द्र जोशी आपके यहाँ कई बार आए और महीनों रहे । उनकी पुस्तक 'विजयासन' का आपने प्रकाशन भी किया। श्री किशोरलाल वाजपेयी भी आपके साथ कुछ वर्ष तक रहे। बीकानेर के साहित्य जगत से आपके आत्मीय सम्बंध थे । आपने अपनी संस्थापित संस्थाओं में योग्य एवं विद्वान् कर्मचारियों की नियुक्ति कर शिक्षा-प्रसार का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। सेठिया जैन ग्रन्थालय में
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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